Book Title: Alpaparichit Siddhantik Shabdakosha Part 5
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 17
________________ ॥ नमो वीतरागाय ॥ यत् किंचित् आ प्रकाशननु नाम श्रीअल्पपरिचितसैद्धांतिक शब्दकोष छे, तेना भाग ५ छे. अने ते शे० दे० ला जै० पु. ग्रन्थांक १२६ तरीके प्रसिद्ध करीए छीए. आ ग्रन्थना संकलनकार ध्यानस्थस्वर्गगत आगमोद्धारक आचार्य श्रीआनंदसागरसूरीश्वरजी महाराज छे. तेओ श्रीए आ संस्थानी स्थापना सं० १९६४ मां करी हती. शे० दे० ला० ना कूटम्बना धनथी आ संस्थानी स्थापना थई छे. तेनो मूल उद्देश ए हतो के मुद्दल रकम कायम राखी, तेनी आवक मांयी ग्रथ छपाववा. ते पण ५० वर्ष पूर्वेना होय तेवा छपाववा. अने ते पडतर कीमतथी अडधी कीमते वेचवा. आ रीते आ संस्थानु कार्य आजसुधी चाल्यु छे. आ संस्था सदर पुस्तकने १२६ मा ग्रन्थांक तरीके प्रमट करे छे. ते पहेलाना चार भाग ग्रयांक १०१, ११५, ११६ अने १२६ तरीके बहार पाडवामां आव्या हता. आ पांचमा भागमा आ कोष पूर्ण थाय छे. तेमां रही गयेला शब्दोन एक, अने देशीनाममालाना शब्दोन एक एम बे परिशिष्ठ आप्यां छे. ग्रन्थ उत्थान:-आगमोद्धारकथीए सं० १९७२ पछौना समयमा आगमोना बावन विषयोना बावन अंक पाड्या हता. अने शब्दकोषनु निशान फूदडीथी कयु हतु. तेओश्री पासे रहेलो लहियो ते ते विषयो अने कोषमा केटलु राखवु ते ते जाणतो हतो . शब्दकोषने अकारादि करवानु काम वर्तमान गच्छाधिपति आ०श्रीहेमसागरसूरिमहाराज, मुनिश्रीगुणसागरजीमहाराज, मुनिश्रीमहेन्द्रसागरजीमहाराज वगेरे। कयू अने पछी ते परथी "प्रेसकोपी तैयार करावामां आवी हती. आप्रेस कोपी छपाववा माटेनी जरूरी द्रव्य आगमोद्धारकश्रीए सं० १९७६ मां भेगी करावी हती. पण तयार करेली प्रेस कोपी छपाववानो सुअवसर सांपडयो नहीं. छेवटे आ अवसर स० २००४ मां प्राप्त थयो. पचास वर्ष पूर्वेनी रचना अगेनु जे बंधारण हतु ते आ ग्रंथने लागु पाडावामान आव्यु, कारण के आ कोई स्वतन्त्र रचना नथी पण संकलना मात्र छे... हवे प्रेसकोपीने ग्रंथो साथे मेलववानी आवश्यकता हती. तेथी आ कार्य पंन्यास श्रीसौभाग्यसागरजीने सोपवामां आल, कोपीने स्वरादि प्रमाणे तयार कर्या पछी तेना संपादन काम मुनिश्रीकंचनविजय ( वर्तमान पंन्यास कंचनसागरजीने ) तथा स्वर्गस्थ मुनिश्रीक्षेमंकरसागरजीने सोंपायु. आ काम पर नजर नाखी जवानु कार्य पट्टधर आचार्य श्रीमाणिकसागरसूरीश्वरमहाराज करता हता. नामः-आगमोना बधा शब्दो लेवानु योग्य मानवामां न आव्यु होवाथी अल्पपरिचित शब्दोनो संग्रह करवो अने वली आगमोनाज शब्दो लीधेला होवाथी आ ग्रथन्नु नाम अल्पपरिचित सैद्धान्किशब्दकोष राख्य छ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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