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पर्यावरण का मौलिक सूत्र, कोई भी अकेला नहीं, सामंजस्य का सूत्र अहिंसा, पर्यावरण असंतुलन क्यों ?, वर्तमान समस्या, हिंसा और अहिंसा का प्रारंभिक बिन्दु, अहिंसा का पहला सिद्धांत।
4. अहिंसा और शांति
74-104 -युवाचार्य महाप्रज्ञ (अहिंसा के अछुते पहलू, पृ. 65) 1. सामाजिक जीवन की समस्या और सह-अस्तित्व 74-82 विरोध : समाज की प्रकृति, विरोध-परिहार का मार्ग : अनेकान्त, अनेकान्त का निष्कर्ष, एक शाश्वत युगल : विरोध और अविरोध, सह-अस्तित्व का दार्शनिक सम्बन्ध, सह-अस्तित्व के तीन सूत्र, आश्वासन की नींव का समझौता, अहिंसा और सह-अस्तित्व, अहिंसा : वर्तमान मानस, जातिवाद : सह-अस्तित्व में बाधक, व्यक्ति-व्यक्ति में विभिन्नता क्यों?. सब मनुष्य समान हैं, भाषाई आधार पर प्रान्तों का बटवारा : एक बड़ी भूल, भेद : अभेद, अहिंसा का प्राणभूत सिद्धांत, भेद है उपयोगिता : अभेद है वास्तविकता, समाज का मूल आधार : सह-अस्तित्व, समस्या है परस्परता का अभाव, जरूरी है प्रशिक्षण और प्रयोग। 2. आर्थिक जीवन और सापेक्षता
-युवाचार्य महाप्रज्ञ (अहिंसा के अछुते पहलू, पृ. 75) इच्छा : प्राणी का लक्षण, असीम इच्छा : एक समस्या, मार्क्सवाद की उत्पत्ति का मूल बीज, उपार्जन और स्वामित्व, भोग : परिग्रह का फल, आर्थिक जीवन का एक पहलू : शोषण, कर्मवाद : एक अवधारणा, अपराध का कारण : आर्थिक असंतुलन, निर्धनता भी अपराध का कारण, अपराध : बिना श्रम किये पाने की मनोवृत्ति, हिंसा क्यों ?, परिग्रह के लिए हिंसा, अशांति : अभाव और अतिभाव, पहली समस्या है आर्थिक, समाधान का सूत्र : सापेक्षता, सापेक्षवाद : नया संदर्भ, अध्यात्म सापेक्षता, सामाजिक समस्या और सापेक्षता, क्षमता : स्वामित्व, इच्छापरिमाण : अर्थ की सीमा, कम्यून का दोष, वैयक्तिकता : व्यक्तिवाद, आध्यात्मिक सापेक्षवाद, समस्या का समाधान : स्वामित्व का सीमांकन ।
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