Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01 Author(s): Jinendravijay Gani Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 4
________________ प्रकाशकीय निवेदन with अमारी ग्रन्धमाला तरफथी आ श्री सूत्रकृतांगसूत्र मूल प्रगट करता आनंद अनुभवीए छीए / हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट करवाने काम शरू करतां आ सूत्र नागरी लिपिमा मोटा टाइपमा प्रगट करेल छ / आ ग्रन्थन संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू० आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू० पंन्यास श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवरे घणी खंत भी करेल के। कागळ छपाइ आदिना भाव वधवाने कारणे खर्च धायर्या करतां वधु आवे छ / मोटा टाइपमा मुद्रित करातां पेज वधारे थाय छ / परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनु. कुलता रहेशे / आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिओ के / ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमा आगम वाचनादिमां अनुकूलता थाय ते रूप आ श्रुतभक्ति करता अमे आनंद अनुभविए छीए / श्री आचारांग सूत्रादि मूल सूत्रो प्रगट यइ रहया छ / श्रीआचरांग सूत्र तैयार थई गयु के / श्रीस्थानाङ्गसूत्रनु मुद्रण काम चालु छ / एज रीते सटीक आगमोमां श्रीमदन्तकृद्दशा, श्रीमदन्तरोपपातिकदशा अने श्रीमदपासकदशा सूत्र तैयार थइ गयां के। वीर संबट 2501 वि० सं० 2031 पोष सुद-२ मंगलवार ar. 14-1-75 नेमचंद बाघजी गुढका नवीनचंद्र बाबुलाल शाहPage Navigation
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