Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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(३२) कूयंते अष्मत्यण समत्थभिक्खुस्स निच्छ तद्दियसं जइ विंदधाइपेओ ति दु वेगो जाव लाउदमा (३३) संगारो रायणिए आलोयण पुव्व पत्त पच्छा वा सोममुहिकालरत्तच्छऽनंतरे एक्को दो विसए (३४) एमेव य ओमम्मिवि भेओ उ अलंभि गोणिदिट्ठतो रायमयं च चउद्धा चरिमदुगे होइ गणमेओ (३५) निव्विसऊत्तिय पढमो बिइओ मा देह भत्तपाणं तु तइओ उवगरणहरो जीवचरितस्स वा भेओ (३६) अहिमर अणिट्ट दरिसणग्गाहणया तहा अणायारे अवहरण दिक्खणाए व आणालोवे व कुप्पिना (३७) अंतेउरप्पवेसो वायनिमित्तं व सो पउस्सेजा खुभिए मालुज्रेणी पलायणं जो जओ तुरियं (३८) तस्स पंडियमाणिस्स बुद्धिल्लस्स दुरप्पणी
मुद्धं पाएण अक्कूकम्प बाई बाउरिवागओ (१९) निज्जवगस्स सगालं असई एगाणिओ व गच्छिजा सुतस्यपुच्छगो वा गच्छे अहवाऽवि पडिअरिंउं (४०) फिडिओ व परिरएणं मंदगई वावि जाव न मिलिज्जा सोऊणं व गिलाणं ओसहकजे असई एगो (४१) अइसेसिओ व सेहं असई एगाणियं पठावेजा देवयकलिंग रुवणा पारणए खीर रुहिरं व (४२) घरिमाए संदिट्ठो ओगाहेऊण मत्तए गंठी
इहरा कपउस्सग्गो परिच्छ आमंतिआ सगणं (४३) गच्छेज्जा को णु सव्वेऽवऽणुग्गहो कारणाणि दीचिंता अमुओ एत्थ समत्यो अनुग्गहो उमय किइकम्पं (४४) पोरिसिकरणं अहदावि अकरणं दोच्च पुच्छणे दोसा सरण सुय साहु संति अंती बहि अत्रमायेगं (४५) बोहण अप्पडिबुद्धे गुरुवंदण घट्टणा अपडिबुद्धे निश्चलणिसण्णझाई दङ्कं चिट्ठे चलं पुच्छे (४६) अप्पाहि अनुनाओ ससहाओ नीइ जा पहायंति उवओगं आसन्ने करेइ गामस्स सो उभए (४७) हिमतेणसावयभया दारा पिहिया पहं अयाणंतो अच्छर जाव पभायं वासियमतं च से वसमा (४८) ठवणकुल संखडीए अणर्हिडंते सिणेहपयवजं मत्तट्ठअस्स गमनं अपरिणए गाउयं वहइ (४९) अत्यंडिलसंकमणे चलवक्खित्तऽणुवउत्तसागरिए विक्खे उभयणा इयरेण विलंबणं लोगं
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मोहनित्ति (३२)
IR907.-21
॥२२॥ पा.-22
।।२३।। मा.-23
||२४|| एस.-24
||२५|| मा. 25
||२६|| मा.-26
॥२७॥ पा. - 27
॥२८॥ पा. -28
॥२९॥ पा.-29
॥१३०॥ पा. -30
॥३१ ॥ मा. - 31
॥ ३२ ॥ मा.-32
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