Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 37
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २८ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४६४) इय दव्वओ उ छण्डंपि विराहओ भायओ इसरहावि उवउत्तो पुण साहू संपत्तीए अवहओ अ (४६५) पुढवी आउक्काएतेऊवाऊवणस्सइतसाणं पडेलेहणमाउत्तो छंऽणाराहओ होइ (४६६) जोगो जोगो जिणसासणंमि दुक्खक्खया पउंर्जते अण्णोष्णमबाहाए असवत्तो होइ कायव्वो (४६७) जोगे जोगे जिणसासणंमि दुक्खक्खया पउंजते एक्केक्कंमि अनंता वट्टंता केवली जाया (४६८) एवं पडिलेहंता अईयकाले अनंतगा सिद्धा चोयगवयणं सययं पडिलेहेमी जओ सिद्धी (४६९) सेसेसु अयनंती पडिलेहंतोवि देसमाराहे जइ पुर्ण सव्वाराहणमिच्छसि तो णं निसामेहि ( ४७०) पंचिदिएहिं गुत्तो मणमाईतिविहकरणमाउत्तो तवनियमसंजमंभि अ जुत्तो आराधओ होइ (४७१ ) इंदियविसयनिरोहो पत्तेसुवि रागदोसनिग्गहणं अकुसलजोगनिरोहो कुसलोदय एगभावी बा (४७२ ) अभितरबाहिरगं तवोवहाणं दुवालसविहं तु इंदितो पुव्यत्तो नियमो को हाइओ बिइओ (४७३) पुढविदग अगणिमारु अवणस्सइबितिचउक्कपंचिंदी अजीव पोत्थगाइसु गहिए असंजमो जेणं (४७४) पत्ता संजमो वुत्तो उपेहित्तावि संजमो पमज्ञेत्ता संजमो बुत्तो परिद्वावेत्तावि संजमो (४७५) ठाणाइ जत्य चेए पुव्वं पडिलेहिऊण चेएज्जा संजय गिहिचोयणऽ चोयणे य वायार ओबेहा (४७६) उवगरणं अइरेगं पाणाई वाऽ वहड्ड संजमणं सागारिएऽपमजण संजम सेसे पमञ्जणया (४७७) जोगतिगं पुव्यमणिअं समत्तपडिलेहणाए सज्झाओ चरिमाएँ पोरिसीए पडिलेह तआ उपाय दुगं (४७८) पोरिसि पमाणकालो निच्छयववहारिओ जिणक्खाओ निच्छयओ करणजुओ ववहारमतो परं वोच्छं (४७९ ) अयणाईयदिणगणे अट्ठगुणेगट्टिभाइए लद्धं उत्तरदाहिणमाई पोरिसि पयसुज्झपक्खेवा (४८०) अट्ठेगसट्टिभागा खयवुड्ढी होइ जं अहोर तेणट्टगुणकारी एगडी सूरतेएणं (४८१) आसाढे मासे दो पया पोसे मासे चउप्पया चित्तासोएस मासेसु तिपया हवइ पोरिसी For Private And Personal Use Only ओहनित्ति (४६४) - ||२३|| प. - 23 ॥२७६॥-275 HR0011-276 ॥२७८॥६-277 ॥२७९॥-278 २८०1-279 ॥२८११-280 ॥१६७॥ था. 167 ॥१६८॥ मा.- 168 ॥१६९।। मा.-169 ||990|| 7.-170 ||१७१|| मा.- 171 ।।१७२॥ मा.-172 ॥१७३॥ पा.-173 २८२॥ -281 ॥२८३11-282 ॥२४॥५- 24 ||२८४|| -283

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