Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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२७
॥१५९।। मा.-150
॥१६०॥ मा.-160
॥२६६||-265
॥१६॥ पा.-161
॥२६७।-206
॥१६॥ मा.-162
॥१६॥ मा.-13
॥२६८11-267
पास(re) वत्ये काउदमियपरवपण ठिओगहाय दसियंते
तंन भवति उक्कुडुओतिरिअंपेहेजह विलित्तो (rrs) घेत्तु थिरं अतुरिअंतिमाग बुद्धीयं चक्षुणा पेहे
तो विइयं पप्फोडे तइयं च पुणो पमशेजा (rri) अणचाविअं अवलिअंअणापुबंधि अमोसलिंचेव
छप्पुरिमा नव खोडा पाणी पाणमझणं (ar) वये अप्पाणमियचउह अणव्याविअंअवलिअंच
अनुबंधि निरंतरया तिरिउड्टऽहय घट्टणा मुसली (४५०) आरमडा सम्मदा बजेयव्वा यमोसली तइया
पफोडणाचउत्थी विक्खित्ता वेइया छट्ठा (४५१) वितहकरणे चतुरिअंअण्णं अण्णं व गेम्हणाऽऽरमडा
अंतो व होज कोणा निसियण तत्येव संभद्धा (४५२) मोललिपुबुद्दिद्वापफोडण रेणुगुंडिए चैव
विक्खेवं तुक्खेवो देइयपणगंवछद्दोसा (४५३) पसिढिल पलंब लोला एगामोसा अणेगरूवधुणा
कुणइ पमाणपमायं संकियगणणोवगंकुञा (४५४) पसिढिलपधणं अतिराइयं च विसमगहणंध कोणं वा
भूमीकरलोलणया कड्ढणगहणेक्कआमोसा धुणणा तिण्ह परेणं बहूणि वा घेतु एक्कई धुणइ
खोइणपमजणासुय संकियगणणं करि पमाई (४५६) अणूणाइरित्तपडिलेहा अविवञ्चासा तहेवय
___ पढमं पयं पसत्यं सेसाणि य अप्पसत्याणि (४५७) नवि ऊणा नवि रित्ता अविवद्यासा उ पढमओ सुद्धो
सेसा होइ असुद्धा उवरिला सत्तजेभंगा (४५८) खोडपमजणवेलाउ चेवऊगाहिया मुणेयव्वा
अरुणावासग पुटवं परोप्परं पाणिपडिलेहा (१५९) एते उ अगाएसा अंधारे उग्गएविहु नदीसे
मुहरयनिसिञ्जचोले कप्पतिग दुपट्ट थुइ सूरो (४६०) पुरिसुवहिविचासो सागरिए करिज्ज उवहिवनासं
आपुछित्ताण गुरुं पहुबमाणेयर वितहं (re) पडिलेहणं करेंतो मिहो कहं कुणइ जणवयकहं वा
देइ व पचखाणं वाएइ सयं पठिच्छइवा (४६२) पुटवीआउक्काएतेऊयावणस्सइतसाणं
पडिलेहणापमत्तो छहंपि विराहओ होइ (४६३) घडगाइपलोडणया मट्टिय अगणी य बीय कुंथाई
उदगगया व तसेयर ओमुय संघट्ट झावणया
॥१६४|| भा.-164
॥१६५|| भा.-163
॥२६९।-288
॥१६६||पा.-166
॥२७०।1-269
॥२७१11-270
(२७२।1-271
॥२७३||-272
॥२७४1-273
||२७५11-274
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