Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 74
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 77711-17 77811-777 ||779||-778 ||78011-778 7811-780 782 / / -781 783||-702 ||784||-783 गामा -1150 (1130) जहनाममहुरसलिलं सागरसलिलं कमेण संपत्तं पावइलोणियमावं मेलणदोसाणुभावेणं (1131) एवं खुसीलमंतो असीलमंतेहि मेलिओ संतो पावइ गुणपरिहाणी मेलणदोसाणुभावेणं (11) नाणस्स सणस्सय घरणस यजत्यहाइ उपधातो वजेजऽवमभीरूअणाययणवजओ खिप्पं (1113) जत्य साहम्मिया बहये भिन्नचित्ता अणारिया मूलगुणपडिसेवीअणायतणं तं वियाणाहि (114) जत्य साहम्मिया बहये भिन्नचित्ता अणारिया उत्तरगुणपडिसेवी अणायतणंतं वियाणाहि (1135) जत्य साहम्मिया बहवे भिन्नचित्ता अणारिया लिंगवेसपडिच्छता अणायतणं तं वियाणाहि (1156) आययणंपिय दुविहं दब्बे मावे यहोइ नापळ दव्वंमि जिणघराई मामिय होइ तियितु (1137) जत्य साहम्मिया बहये सीलमंता बहुस्सुया __ चरित्तायारसंपन्ना आयपणं तं वियाणाहि (1138) सुंदरजणसंसगी सीलदरिइंपिकुणइ सीलद जह मेरुगिरिजायं तणंपिकणगतणमुवेइ (11) एवंखलु आययणं निसेवमाणस्स हुअ साहुस्स कंटगपहे व छलणा रागहोसे समासस (140) पडिसेवणाय दुविहा मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य मूलगुणे छट्ठाणा उत्तरगुणि होइ तिगमाई (9141) हिंसाऽलिय चोरिक्के मेहुन परिग्गहेय निसिभत्ते इयछट्ठाणा मूले उगमदोसाय इपरमि (1142) पडिसेवणा मइलणा मंगोय विराहणाय खलणाय __उवधाओय असोही सलीकरणं ध एगडा () छडाणा तिगठाणा एगतरे दोसुवावि छलिएणं कायव्या उ विसोही सुद्धा दुक्खक्खयहाए (99) आलोयण उ दुविहा मूलगुणे चेव उत्तरगुणेय एक्केक्का चउकत्रा दुवग्ग सिद्धावसाणा य (ime) आलोयणा वियाणा सोही समावदायणा चैव निंदण गरिह विउट्टण साझुद्धरणंति एगडा (46) एत्तो सल्लुद्धरणं वुछामी धीरपुरिसपत्रतं जंनाऊणं सुविहिया करेति दुक्खक्खयं धीरा 415 ||785/-784 786||-786 // 7871-789 ||788||-787 ||789||-788 // 79011-789 // 79 // -700 ||792||-791 79311-782 For Private And Personal Use Only

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