Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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ओहनिपुति - (५००)
२९९||-298
॥३००11-299
11३०१||-300
॥३०२||-301
॥३०३||-302
॥३०४||-303
॥३०५||-304
॥३०६||-305
(५००) संविग्गमंसविग्गा संविण मणुण्णएयरा चेय
असंविग्गावि दुविहा तप्पक्खियएअरा देव (५०१) परपक्खेविय दुविहं माणुस तेरिच्छिअंच नायच्वं
एक्केक्कंपि यतिविहं पुरिसित्थिनपुंसगे वेव (५०२) पुरिसावायं तिविहं दंडिअ कोडुबिए य पागइए
ते सोयऽसोयवाई एमेवित्थी नपुंसाय (५०३) एए चेव विभागा पातित्यीणंपि होइ मणुयाणं
तिरिआणपि विभागा अओ पर कित्तइस्सामि (५०४) दित्तादित्ता तिरिआजहण्णमुक्कोसमज्झिमा तियिहा
एमेवित्यिनपुंसा दुगुंछिअदुगुंछिआनेया (५०५) गमण मणुण्णे इवरे वितहायरणमि होइ अहिगरणं
पउरदवकरण दटुं कुसील सेहऽण्णहामावो (५०६) जत्यऽम्हे बच्चामो जत्य य आयरइ नाइवग्गोणे
परिभव कामेमाणा संकेयगदित्रया यावि (५०७) दवअप्प कंलुस असई अवण्ण पडिसेह विपरीणामो
संकाईया दोसा पंडित्यिगाहे यजंचऽणं (५०८) आहणणाई दित्ते गरहिअतिरिएसु संकमाईया
एमेवय संलोए तिरिए वनेतु मणुयाणं (५०२) कलुसदवे असई यव पुरिसालोए हवंति दोसा उ
पंडित्थीसुवि एए खद्धे वेउब्धि मुच्छा य (५१०) आवायदोस तइए बिइए संलोयओ मवे दोसा
ते दोविनत्यि पढमे तहिं गमणंतत्थिमा मेरा (५११) कालमकाले सण्णा कालो तइयाइ सेसयमकालो
पढमा पोरिसि आपुच्छ पाणगमपुफियऽण्णदिसिं (५१२) अइरेगगहण उग्गाहिएण आलोय पुच्छिउँ गच्छे
एसा उ अकालंमी अणहिडिय हिंडिया कालो (५१३) कप्पेऊणं पाए एक्केकस्स उ दुवे पडिग्गहए
दाउं दो दो गच्छे तिहऽदवं तुधेतूणं (५१४) अजुगलिया अतुरंता विकहारहिया वयंति पढमंतु
निसिइत्तुडगलगहणं आवडणं वचमासज्ज (५१५) अणावायमसंलोए परस्सणुवघाइए
समे अन्झुसिरे यावि अचिरकालकमिय (५१६) वित्यिण्णे दूरमोगादे नासपणे बिलघञ्जिए
तसपाणबीयरहिए उधाराईणि योसिरे (५१७) एगद्गतिगचउक्कगपंचछसत्तगुणवगदसहिं
संजोगा कायव्या भंगसहस्सा चउव्वीसं
॥३०७||-306
॥३०८11-307
॥३०९1-308
॥३१०||-309
||३११1-310
॥३१२||-311
॥३१३||-312
॥३१४||-313
॥३१५||-314
॥३१६||-315
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