Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 64
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गाहा -950 // 616||-815 ||17||-818 // 61811817 // 619||-818 ॥३०८॥पा.-308 // 6200-819 // 62111-820 // 622||-821 // 23 // 1-822 (950) एएहि कारणेहिं गहियमजाया उसा विगिचणया आलोगंमि तिपुंजा अद्धाणे निग्गयातीणं (151) एक्को वदो यतित्रि व पुंजा कीरति किं पुण निमित्तं विहमाइनिग्गयाणं सुद्धेयरजाणणद्वाए (952) एवं विगिचिउं निग्गयस्स सन्ना हवे तंतु कई निसिरेजा अहवधुवं आहारा होइ नीहारो (953) पंडिल्ल पुवमणियं पढमं निद्दोस दोसुजयणाए नवरं पुण नाणत्तं मावासनाए वोसिरणं (154) अणावायमसंलोयं अणवायालोय ततिय विवरीयं आवातं संलोगं पुव्युत्ता पंडिलाचउरो (155) अणावायमसंलोगनिहोस बितियधरिमजयणाए पउरदवकुरुकुयादी पत्तेयं मत्तगो चैव (156) तइएवियजयणाए नाणत्तं नयरि सद्दकरणंमि मावासनाए पुण नात्तभिणंसुणस वोठं (157) जदि पढमं न तोजातो बितियं तस्स असइए तइयं तस्स असईचउत्ये गामे दारे यरत्याए (158) साही पुरोहडे वा उवस्साए मत्तगंमि वा निसिरे अधुककमि वेगे मंडलिपासंमियोसिरह (959) तिणि सल्ला महाराय अस्सि देहे पइडिया घायमुतपुरीसाणं पत्तयेगंन धारए (960) राया विजमि मए विद्यसुर्य मणइ किंच ते अहियं अहियंति दायकम्मे विजे हसणायपरिकहणा (17) एसा परिवणविही कहिया भे धीरपुरिसपत्रत्ता सामायारी एतो वुच्छ अप्पक्खरमहत्यं (152) सनातो आगतो वामपोरिसिं जाणिऊण ओगाद पडिलेहणमप्पत्तं नाऊण करेइ सज्झायं (13) पुन्बुद्दिवो य विही इहंपिपडिलेहणाइ सोचेव जंएत्यं नाणतंतमहं युद्धं समासेणं (154) पडिलेहगा उदुविहा भत्तहिएयराय नायव्या दोण्हविय आइपडिलेहणाउ मुहनंतग सकार्य (155) ततो गुरू परित्रा गिलाणसेहातिजे अभत्तट्ठी संदिसह पाय मत्तेय अपणोपट्टां धरिस (956) पट्टग मत्तय सयमोग्गहोय गुरुमाइया अनुप्रवणा तो सेस पायपत्ये पाउँछपगं च मतही (197) जस्स जहा पडिलेहा होइ कया सो तहा पटइ साहू परियडे व पयओ करेइघा अत्रयावारं // 6241-829 ||25|1-824 16261-825 // 32711-828 |28||-827 // 629||-828 // 130||-829 // 63111-630 // 632|1-831 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78