Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गाहा .734 // 4aa -468 ||46811-487 469|-468 241|| पा.-241 // 22 // पा.-242 243 // पा.-243 IR||पा.-244 // 245 पा.-245 // 246|| पा.-246 (73) पासवणे उधारे सिणाण आयमणठाण उकूकुरुडे निद्धमणमसुइमाई पचयणहाणी विवज्जेमा (35) अवत्तमपहुयेरे पंडे पत्तेय खित्तविते य दित्तेजक्खाइडे करवणछिन्नैध नियले य (736) तद्दोसगुब्बिणीबालवच्छकंडतपीसमझंती कतंती पिजंती मइया दगमाणइणो दोसा (757) कप्पष्टिगअप्पाहणदिने अत्रोत्रगहणपजंतं खंतियमग्गणदिन्नं उड्ढाहपदोसवारभडा (738) अप्पमु भयगाईया उभएगतरे पदोस पहुकुजा घेरे चलंत पडणं अप्पमुदोसाय ते चेय (731) आपयरोभयदोसा अभिक्खगहणमि खुब्मण नपुंसे लोगदुगुंछा संका हरितगा नूणमेतेऽवि (740) अवयास भाणभेदो वमणं असुइति लोगउहाहो खित्ते य दित्तचित्तेजक्खाइटे य दोसा उ (741) करछिन्न असुइ चरणे पडणं अंधिल्लए य छक्काया नियलाऽसुइ पडणं वा तद्दोसी संकमो असुइ (742) गुम्विणि गमे संघट्टणा उउट्टति निविसमाणीय बालाई मंसउंडग मझाराई विराडेजा (743) बीओदगसंघट्टण कंडणपीसंत भङ्गणे डहणं कतंती पिंजती हत्ये लिपिउदगवहो (err) मिक्खामेत्ते अवियालणं तु बालेण दिङमाणमि संदिट्टे या गहणं अइबहुयवियालऽणुनाओ (745) अप्पहुसंदिडे वामिक्खामित्तेव गहणऽसंदिट्टे पेरपहू थरथरते धरणं आहवा बढसरीरे (7rt) पंडग अप्पडिसेवी मतो सड्ढोब अप्पसागरिए खित्ताइ मद्दगाणं करघर बिहऽप्पसागरिए (ru) सड्ढोव अनरुपण अंधेसवियारणा य बलुमि तद्दोसए अमिन्ने वेला थणजीवियं घेरा (748) उक्खितऽपञ्चावाए कंडे पीसे यऽछूट मझंती सुक्कं व पीसमाणी बुद्धीय विभाषए सम्म () मुसले उक्खित्तंमियअपनवाए य पीस अधित्ते भझंती अच्छूढे मुंजंतीजा अणारद्ध (750) कत्तंतीए यूलं विक्खिण लोटण जतिय निवियं पिजण असोयवाई भयणागहणं तु एएसिं (751) गमणंच दायगस्सा हेट्ठा उदारच होइ नायव्वं संजमआयविराहणतस्स सरीरे यमिच्छत्तं // 247 // पा.-247 ||47011-469 I711-470 472||-471 IN73||-472 ||74|-473 २४८)मा.-248 I47511-474 // 476||-475 For Private And Personal Use Only

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