Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 47
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३८ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (६४४) खरअयसिकुसुंभसरिसव कमेण उक्कोसमज्झिमजहना नवणीए सप्पिवसा गुडेण लोणेणऽ लेवो उ (६४५) पिंड निकाय समूहे संपिंडण पिंडणा य समवाए समोसरण निचय उवचय चए य जुम्मे य रासी य (६४६) दुविहो य भावपिंडो पसत्यओ होइ अप्पसत्यो य दुयसत्तच उक्करा जेणं वा बज्झए इयरो (६४७) तिविहो होइ पसत्यो नाणे तह दंसणे चरिते य मोत्तूण अप्पसत्ये पसत्यपिंडेण अहिगारो (६४८) तित्तंमि भायणंमि उ पिंडस्स उवग्गहो उ कायव्वो जुत्तस्स एसणाए तमहं वोच्छं समासेणं (६४९) नामं ठवणा दविए भावंमि य एसणा मुणेयच्या दव्वंमि हिरण्णाई गवेसगहभुंजणा भावे (६५०) पमाण काले आवस्सए य संघाइए य उवकरणे मत्तग काउस्सग्गो जस्स य जोगो सपविक्खो (६५१) दुविहं होइ पमाणं कालं भिक्खा पवेसमाणं च सन्ना भिक्खायरिआ भिक्खे दो काल पढमद्धा (६५२ ) आरेण मद्दपंता मद्दग उडवण मंडण पदोसा दोसीणपउरकरणं ठवियगदोसा य भद्दमि (६५३) अद्दागऽमंगलं वा उष्मावण खिंसणा हणण पंते फिडिउग्गमे य ठविया भद्दगचारी किलिरसणया (६५४) भिक्खरसदिय अवेला ओसक्कऽ हिसक्कणे भवे दोसा भद्दगपंतातीया तम्हा पत्ते चरे काले (६५५) आवस्सग सोहेउं पविसे भिक्खस्सऽ सोहणे दोसा उग्गाहि अवोसिरणे दव असईए य उड्डाहो (६५६) अइदूरगमणफिडिओ अलहंतो एसपि पेल्लेखा डावण पंतावण धरणे मरणं च छक्काया (६५७) एगाणियस्स दोसा इत्थी साणे तहेव पंडिणीए मिक्ख विसोहि महव्यय तम्हा सवितिजए गमणं (६५८) संघाडग अग्गहणे दोसा एगस्स इत्थियाउ भवे साणे भिक्खुवओगे संजम आएगयर दोसा (६५९) दोणिउ बुद्धरिसतरा एगोत्ति हणे पदुट्टपडिणीए तिघरगहणे असोही अग्गहण पदोसपरिहाणी (६६०) पाणिवहो तिसु गहणे प ंजणे कॉटलस्स बितियं तु तेणं उच्छुद्धाई परिग्गोऽणे सणगहणे ( ९६१) विहवा पउत्थवइया पयारमलमंति दट्टुमेगार्गि दारपिहणय गहणं इच्छमणिच्छे य दोसा उ ओहनित्ति (६४४) For Private And Personal Use Only A ॥४०७||-406 ||४०८|| -407 ४०९ || -408 ||४१०|| -409 ॥२१२।। मा. - 212 ||99|1-410 ||४१२||-411 ॥२१३ ॥ पा. -213 ॥२९४॥ भा.-214 ।।२१५।। भा. - 215 १२१६ ॥ भा. 21e ॥२१७॥ भा. 217 ॥२१८॥ पा.- 218 ४१३१-412 ॥२१९॥ पा.- 210 ॥ २२०॥ पा.-220 ।।२२१।। भा. - 221 ॥२२२॥ पा.-222

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