Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोहनिम्नुति - (४२८) ॥२५६||-255 ||२५७||-256 २५८||-257 ॥२५९||-258 ॥२६०।-250 ॥२६१||-280 ॥२६२|1-261 ॥२६३।।-262 (४२८) एसो उ विही मणिओ तंमि वसंताण होइ खेतमि पडिलेहणंपिइत्तो वोच्छं अप्पखरमहत्थं (४२९) दुविहा खलु पडिलेहा छउमत्थाणं व केवलीणं च अमितरबाहिरिआदविहादवेयभावे य (४३०) पाणेहि उ संसत्ता पहिलेहा होइ केवलीणं तु संसत्तमसंसत्ता छउमत्याणं तु पडिलेहा । (४३१) संसञ्जइ धुवमेअंअपेहियं तेणपुव पडिलेहे पडिलेहिअपि संसज्जइत्ति संसत्तमेव जिणा (४३२) नाऊण वेयणिझं अइबहुअं आउअंच थोयागं कम्मं पडिलेहेउं वचंति जिणा समुग्घायं (४३३) संसत्तमसंसत्ता छउमत्याणं तु होइपडिलेहा चोयगजह आरक्खी हिंडिताहिँडिया चेय {४३४) तित्ययरा रायाणो साहू आरक्खि मंडगंच पुरं तेणसरिता य पाणा तिगं घरयणा भयो दंडो (४५५) किं कय किं वा सेसं किं करणिझं तवं च न करेमि पुवावरत्तकाले जागरओ मायपडिलेहा (१६) ठाणे उवगरणे या थंडिलउयथंममग्गपडिलेहा किमाई पडिलेहापुबण्हे चेव अदरण्हे (४३७) ठाणनिसीयतुयट्टणउवगरणाईण गहणनिक्खेवे पुव्वं पडिलेहे चक्खुणा उपच्छा पमझेजा (४३८) उदनिसीयतुयट्टण ठाणंतिविहं तु होइ नायव्वं उड्ढे उद्याराई गुरुमूलपडिक्कमागम्म पक्खे उस्सासाई पुरतो अविणीय मग्गओ वाऊ निक्खम पवेसवाण भावासण्णो गिलाणाई (rro) भारे वैयणखमगुण्हमुच्छपरियावछिंदणे कलहो अव्याबाहे ठाणे सागारपमझाणा जयणा (४४६) संडासपमजित्ता पुणोवि भूमिपमजिआ निसिए राओय पुवमणिअंतुयट्टणं कप्पई न दिवा (२) अद्धाणपरिस्संतो गिलाणयुड्ढा अनुण्णवेत्ताणं संयारुत्तरपट्टोअत्यरण निवजणाऽऽलोगं (11) उवगरणाईयाणं गहणे निक्खेवणे य संकमणे ठाण निरिक्खपमझणकाउंपडिलेहए उवहिं (mr) उवगरण वत्यपाए बत्थे पडिलेहणं तु वोच्छामि पुवण्हे अवरण्हे मुहनंतगमाइ पडिलेहा (my उड्दं यिरं अतुरिअंसव्वं तावत्य पुव पडिलेहे तो भिइअं पप्फोडे तइयं च पुणो पमज्जेजा ॥२६४||-263 ॥१५॥ पा.-161 ।।१५२॥ पा.-152 ||१५३|| पा.-153 १५४॥पा.-154 ॥१५५/पा.-166 ||१५६.पा.-166 11१५७|| पा.-167 11१५८॥पा.-158 ॥२६५||-284 For Private And Personal Use Only

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