Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥१९४||-183 ||१९५11-194 ||१९६||-196 11१९७||-196 ||१९८४-197 ॥१९९||-198 ॥२००11-109 ॥२०॥-200 गाहा - ३०२ (३०२) सावय तेणा दुविहा विराहणाजा प उयहिणा उ विणा गुम्मियपहणाऽऽहणणा गोणाईचमढणाचेव। (३०३) फिडिए अण्णोण्णारण तेण पराओ दिया पपंथंमि साणाइ घेसकुस्थिअतवोवणंमूसिआजच (३०) अप्पडिलेहिअकंडाविलंभि संथारगंमि आयाए छक्कायसंजमंमिय चिलिणे सेहऽनहामायो (३०५) कंटगथामुगवालविलंभिजइबोसिरेज आयाए संजपओछक्काया गमणे पत्ते अइंतेय मुत्तनिरोहे चक्खू पश्यनिरोहेणजीवियं चयइ उड्दनिरोहे कोड्ढे गेलनं वा भवे तिसुवि (३०७) जइ पुण वियाल पत्ता पए व पत्ता उवस्सयं न लमे सुनपरदेउले वा उजाणे वा अपरिमोगे (३०८) आवाय चिलिमिणीए रणे वा निन्मए समुद्दिसणं सभए पच्छनासइ कमढय कुरुया य संतरिआ (३०१) कोढग समावपुल्विं काले वियाराइभूमिपडिलेहा पच्छा अइंति रतिपत्ता वाते भवे रत्ति (३१०) गुम्पियभेसण समणा निमय बहिठाण वसहिपडिलेहा सुत्रधर पुव्यमणिअंकंचुग तह दारुदंडेणं (३११) संधारगभूमितिगं आयरियाणं तु सेसगाणेगा रुंदाएँ पुष्फइन्ना मंडलिआ आवली इयरे (११२) संथारगहणाए बेंटिअउक्खेवणं तु कायद संथारो घेत्तव्यो मायामयविष्पमुक्केणं (३१३) पोरिसिआपुच्छणयासामाइय उभय कायपडिलेहा साहणिये दुवे पट्टे पमज भूमिंजओ पाए (३१४) अनुजाणह संथारंबा वहाणेण वामपासेणं कुक्कुडिपायपसारण अतरंत पमञ्जए भूमि (३१५) संकोए संडासं उब्वतंते प कायपडिलेहा दवाईउवओगं निस्सासनिरंभणाऽऽलोयं (३१६) दारंजापडिलेहेतेणमए दोणिसावए तिष्णि जइय चिरंतो दारे अपणं ठावेत्तुं पडिअरइ (३१७) आगम्म पडिक्कतो अनुपेहे जाव चोद्दसवि पुव्वे परिहाणि जातिगाहा निद्दपमाओ जदो एवं (३१८) अतरंतो व निवज्जे असंथरंतोय पाउणे एक्कं गद्दभदिइंतेणं दो तिग्णि बहू जह समाही (३.१) दुविहो य विहरियाविहरिओ उ मयणा उ विहरिए होइ संदिह्रोजो विहरितो अविहरिअविही इमो होइ ||२०२11-201 ॥२०३11-202 ||२०४||-203 २०५11-204 ॥२०६11-205 |२०७॥-208 २०८||-207 ॥२०९||-208 129011-209 ||२११11-210 For Private And Personal Use Only

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