Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाग-३३८ २१५11-218 २२०11-218 ॥२२१11-220 ॥२२२||-221 ॥२२३॥1-222 ॥२२४||-223 ॥२२५11-234 ॥२२६||-226 ॥२२७||-226 (३३८) खरकस्मिअ वाणियगा कप्पडिअ सरक्खगाय बंठाय संमीसावासेणं दोसाय हवंति नेगविहा (३५९) आवासगअहिकरणे तदुमय उचारकाइयनिरोहे संजपआयविराहण संका तेणे नपुंसित्यी (३४०) आवासयं करिते पवंचए प्राणजोगवाधाओ असहण अपरिणया वा भायणभेओयछक्काया (३४१) सत्तत्यऽकरण नासो करणे उड्ढंचगाइ अजिंगरणं पासवणिअरनिरोहे गेलनं दिडिउड्डाओ (३४२) मा दिच्छिहिति तो अप्पडिलिहिए दूर गंतु बोसिरति संजमआयविराहण गहणं आरक्खित्तेणेहिं (३४३) ओणयपमजमाणं दर्बु तेणेत्ति आहणे कोई सागारिअसंघट्टण अपुमित्थी गेण्ह साहइवा (३४) ओरालसरीरं या इत्यि नपुंसा बलावि गेण्हंति सावाहाए ठाणे निते आवडणपडणाई (३४५) तेणोतिमण्णमाणो इमोयि तेणोतिआयडइ जुद्धं संजमआयविराहणमायणेयाइणो दोसा {३४६) तहापमाणजुता एक्केक्कस्स उ तिहत्यसंधारो भायणसंथारंतर जह वीसं अंगुला हुंति (३४७) मारमूसगाइय नवि वारे नविय जाणुघट्टणया दो हत्या अबाहा नियमा साहुस्स साहूओ (३४८) भुत्तामुत्तसमुत्था भंडणदोसा य बजिआएवं सीसंतेण व कुएं तु हत्यं मोतूण ठायंति (३४१) पुबुद्दिडो उ विही इहवि वसंताण होइ सो चेव आसञ्ज तिनि यारे निसन्न आउंटए सेसा (३५०) आवस्सिअमासनं नीइ पमझंतु जाव उच्छा सागारिय तेणुङमासए य संका तउ परेणं नत्यि उपमाणजुता खुइलिया चेव यसति जपणाए पुरहत्य पच्छ पाए पमन जयणाए निग्गमणं (३५३) उस्सीस भायणाई मज्ने विससे अहाकडा उवरि ओवगहिओदोरो तेण य बेहासि लंबणया (३५३) खुइलियाए असई विच्छिन्नाए उ मालणाभूभी बिलयप्पोचारमडा साहरणेगंतकडपोती। (३५४) असई यचिलिमिलीए भए व पच्छन्न मूइए लखे आहारा नीहारो निगमणपवेस वोह (३५५) पिंडेण सुत्तकरणं आसञ्ज निसीहियं चनकरिति कासण न पमझणया न य हत्यो जयण रत्ति २२८11-227 ॥२२९||-228 ॥२३०1-229 ॥२३१11-230 ।।२३२||-231 १२३३||-232 ||२३४||-233 ॥२३५||-234 ॥२३६।-235 For Private And Personal Use Only

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