Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २ = (७) (3) 흐흐 (२) (a) (४) (4) (e) (१) दुविहोक्क्कमकालो सामायारी अहायं चेव सामायारी तिविहा ओहे दसहा पयविभागे नवमग्रपञ्चक्खाणाभिहाणपुव्वस्स तइयवत्थूओ वीसइमपाहुडाओ तओ इहानीणिया जइया सो उ उबक्कमकालो तयत्थनिव्विग्घसिक्खणत्थं च आईय कवं चिय पुणो मंगलमारंभये तं च अरहंते वंदित्ता चउदसपुवी तहेब दसपुब्बी एकारसंग सुत्तत्यधारए सव्वसाहू य ओहेण नित्तिं वुच्छं चरणकरणाणुओगाओ अप्पक्खरं महत्थं अनुग्गहत्थं सुविहियाणं जुम्मं ओहे पिंड समासे संखेवे चैव होति एगट्ठा नित्तत्तिय अन्या जं बद्धा तेण निजुत्ती वय समणधम्म संजम वेयायचं च बंभगुत्तीओ नाणाइतियं तव कोहनिग्गहाई चरणमेयं (4) पिंडविसोही सभिई भावण पडिमा य इंदियनिरोहो पडिलेहण गुत्तीओ अभिग्गहा चेव करणं तु चोदगवणं छठ्ठी संबंध कीस न हलइ विभत्ती तो पंचमी उ भणिया किमत्थि अन्नऽत्थि अनुओगा चत्तारि उ अनुओगा चरणे धम्म गणियाणुओगे य दवियाजोगे य तहा अहक्कमं ते महिढीया (११) संविसयबलवत्तं पुण जुज्जइ तहविअ महिडिअं चरणं चारित्तरखणडा जेणि अरे तित्रि अनुओगा (१२) चरणपडिवत्तिहेतुं धम्मकहाकालदिक्खमाईआ दविए दंसणसुद्धी दंसणसुद्धस्स चरणं तु (१३) जहं रण्णो विसएसुं वयरे कणगे अस्यय लोहे अ चत्तारि आगरा खलु चउण्ह पुत्ताण ते दिना पखेव भा. = भास (१०) www.kobatirth.org 4. = Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नमो नमो निम्पल दंसणस्स पंचम गणधर श्री सुधर्मास्वामिने नमः ४१ ओहनिजत्ति नमो सिद्धाणं नमो अरहंताणं नमो उवज्झायाणं एसो पंचनमुक्का मंगलाणं च सव्वेसिं नमो आयरियाणं नमो लोए सव्वसाहूणं सव्वपावप्पणासणी पढमं हवाइ मंगलं ओहनिष्नुत्ति (9) · For Private And Personal Use Only 1191190-1 ॥२॥ -2 ॥३॥ -3 11911-1 ||२|| -2 || १ || मा.-1 ॥२॥५.-2 ॥ ३॥ पा.-3 BYT.-4 ||५|| मा.-5 ॥६॥पा. -6 1101144.-7 ||८|| पा. -8

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