Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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(१०४) गामदुवारब्यासे अगडसमीवे महाणमज्झे वा वा पुच्छे सयंपक्खा विआलणे तस्स परिहकणा (१०५) निस्संकिअ धूभाइसु काउं गच्छेज चेइ अघरं तु पच्छा साहुसमीवं तेऽवि अ संभोइया तस्स (१०६) निक्खिविउं किइकम्मं दीवणऽणाबाह पुच्छण सहाओ गेलपण विसजणया अविसङ्खुवएस दरवणया (१०७) पुनरवि अयं खुभिया अयाणगा यो स भणि उमओऽवि अयाणंता वेखं पुच्छंति जयणाए (१०८) गमणे पमाण उवगरण सउण वावार ठाण उयएसो आणण गंधुदगाई उझ्मणुट्टे अजे दोसा
संचिक्खे
( १०९) पढमावियरजोगं नाउं गच्छे बिइजए दिये एपेय अण्णसंमोइयाण अण्णाइ बसहीए ( ११० ) एगागि गिलाणंमि उ सिद्धेतो किं न कीरई बावि
छगमुत्तकहणपाणगधुवणऽत्यर तस्स नियगं वा (१११) सारवणं साहलय पागड धुवणे य सुइ समायारा अइमिले समाही सहुस्स आसास पडिअरणं (११२) सयमेव दिवपाढी करेइ पुच्छ अयाणओ वेलं दीचणदव्वाइंमि अ उबएसो जाव लंभी उ ( ११३) कारणिअ हट्ठ पेसे गमणऽणुलोमेण तेण सह गच्छे निक्कारणिअ खरंटण बिइज संघाडए गमणं (११४) समणिपवेसि निसीहिअ दुवारवज्रण अदि परिकहणं थेरीतरुणिविभासा निमंतऽणाबाहपुच्छा य
(११५) सिमि सहू पडिणीयनिग्नहं अहव अण्णहिं पेसे
उवएसो दावणया गेलत्रे वेज्जपुच्छा अ
(११६) तह चेव दीवण चउक्कएण अन्नत्थ वसहि जा पढमा तह चेवेगाणीए आगाढे चिलिमिली नवरं
( ११७) निक्कारणिअं चमढण कारणिअं नेइ अहय अप्पाहे गमणित्थि मीस संबंधियजिए असइ एगागी
(११८) एगबहू समणुण्णाण वसहीए जो ब एग अमणुत्रो अमणुत्रसंजईणय अण्णहिं एक्कं चिलिमिलीए (११९) बिहिपुच्छाएँ पवेसो सम्णिकुले चेइ पुच्छ साहम्मी अन्नत्य अत्थि इह ते गिलाणकजे अहिवडति
(१२० ) सव्वंपि न घेत्तव्वं निमंतणे जं तर्हि गिलाणस्स कारण तरस य तुज्झ य वउलं दव्यं तु पाउग्गं ( १२१ ) जाऍ दिसाए गिलाणो ताएँ दिसाए उ होइ पडियरणा पुव्वभणिअं पिलाणो पंचण्हदि होइ जयणाए
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मोनत्ति (१०४ )
६७]66
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६९॥ 88
1190|1-69
110911-70
१७२॥1-71
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१७४|1-73
11941-74
110411-75
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