Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोहनिष्पति - (२१२) ।।१४१1-140 ६८ पा.-88 ॥६९॥ पा.-69 ||७० भा.-70 ॥७१|| पा.-71 ॥७२॥पा.-72 11१४२।।-141 ।।१४३।।-142 11१४४1-143 (२.२) अणमिग्गहिए वायारणा उतत्थ उ इमे न वावारे बालंबुड्ढमगीअंजोगिं वसहंतहा खमर्ग (२१३) हीलेज बखेलेज व कजाकजं न याणई बालो सोवऽणुकंपणिजोन दिति वा किंचि बालस्स (२१४) भाष्यं वुड्ढोऽणुकंपणिज्जो चिरेण न य मागथंडिले पेहे अहवावि बालबुड्ढा असमत्या गोयरतिस्स (२१५) पंथं च मासवासं उवस्सयं एच्चिरेण कालेणं एहामोत्तिनयाणइ चउबिहमणुण्ण ठाणंच (२१६) तुरंतो यन पेहे पंयं पादडिओन चिरहिंडो विगई पडिसेहेइ तम्हा जोगिन पेसेजा (२१५) ठवणकुलाणि न साहे सिट्ठाणि न देति जा विराहणया परितावण अनुकंपण तिण्हऽसमत्यो भवे खमगो (२१८) एए चेव हवेना पडिलोमेणं तुपेसए विहिणा अविही पेसिज्जंते ते चेय तहिं तु पडिलोमं (२१९) सामायारिमगीए जोगपणागाढ खरग पारावे वेयावचे दायण जुयलसमत्थं व सहियं वा (२२०) पंथुचारे उदए ठाणे भिक्खंतराव वसहीओ तेणा सावय वाला पञ्चावाया य जाण विही (२२१) सो चेवउ निग्गमणे विही उजो बनिओउ एगस्स दव्वे खेते काले भाये पंयं तु पडिलेहे (२२२) कंटग तेणा वाला पडिणीया सावयाय दब्बंमि समविसमउदयथंडिल भिक्खायरि अंतरा खेत्ते (२२३) दियराउऽपच्चवार य जाणई सुगमदुग्गमे काले भावे सपक्खपरपरखपेलणा निण्हगाईया (२२४) सुत्तत्थं अकरिता भिक्खं काउं अइंति अवरहे बिइयदिने सम्झाओ पोरिसिअद्धाइ संघाडो (२२५) खेत्तं तिहा करेत्ता दोसीणे नीणिअमि अवयंति अण्णो लद्धो बहुओ घोवंदे मा य रूसेजा (२२६) अहवन दोसीणं चिअजायामो देहि दहि घयं खीरं खीरे घयगुलपेजा थोवं थोवं च सव्वत्य (२२७) मज्झण्हि पउरभिक्खं परिताविअपिजजूसपयकढिअं ओमट्ठपणोमट्ठ लष्मइ जंजस्य पाउग्गं (२२८) चरिमे परितावियपेजजूस आएस अतरणट्ठाए एक्केक्कगसंजुत्तं मतलु एक्कमेक्कस्स (२२९) ओसह मेसज्जाणि य कालं च कुले यदाणमाईणि सगापे पेहित्ता पेहंति ततो परग्गामे ||७३|| पा.-73 1७४|| पा.-74 [७५||पा.-75 ||१४५||-144 ||१४६||-145 ||१४७1-146 ||१४८||-147 ||१४९||-148 ||१५०|-149 For Private And Personal Use Only

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