Book Title: Agam 41A Pindnujjutt Mulsutt 02A Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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||१२५||-124
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।।१२७||-128
॥१२८||-127
11१२९||-128
||१३०11-129
गादा - १९४ (१४) नेगायि होति दुविहा काणनिक्कारणे दुविहभेओ
जं एवं नाणत्तं तमहं वौच्छं समासेणं (१९५) जयमाणा खलु एवं तिविहा उ समासओ समक्खाया
विहरताविय दुविहा गच्छगया निग्गया चेव (१९६) जयमाणा विहरंताओहाणाहिंडगा चउद्घाउ
जयमाणातत्य तिहा नाणहादसणचरिते (१९७) पत्तेयबुद्ध जिणकप्पियायपडिमासु चेव विहरंता
आयरिअरवसमा भिक्खू खुड्डाय गच्छंमि १११८) ओहावंता दुविहा लिंग विहारे यहोति नायचा
लिंगेणऽगारवासं नियया ओहावण विहारे (१९९) उवएस अनुवएसा दुविहा आर्हिडया मुणेयव्या
उवएस देसदसण थूभाई हुंतिऽणुवएसा (२००) पुत्रंमि मासकप्पे वासावासासु जयणसंकमणा
आमंतणा य भावे सुत्तत्य न हायई जत्थ (२०१) अप्पडिलेहियदोसा वसही मिक्खं च दुल्लहं होजा
बालाइगिलाणाण व पाउगं अहव सम्झाओ (२०२) तम्हा पुव्वं पडिलेहिऊण पच्छा विहीऍ संकमणं
पेसेइ जइ अणापुच्छिउंगणं तत्थिमे दोसा (२०३) अइरेगोवहिपडिलेहणाएँ कत्यवि गयत्ति तो पुच्छे
खेत्तो पडिलेहेउं अमुगत्य गयत्ति तं दुटुं {२०४) तेणासावय मसगा औमऽसिवे सेह इत्यि पडिणीए
थंडिल्ल अगणि उट्ठाण एचमाई भवे दोसा (२०५) पचंति तावसीओ सावयदुभिक्खतेणपउराई
नियगदुइटाणे फेडणहरियाइ हरिहरिय पत्रीए (२०६) सीसे जइ आमंतइपडिच्छा तेण बाहिरंभावं
जइ इयरे तो सीसा तेविसमत्तंमि गच्छति (२०७) तरुणा बाहिरमावं न यपडिलेहोवहीन किइकम्म
मूलयपत्तसरिसया परिभूया वन्चिमो थेरा (२०८) जुष्णमएहि विहूर्ण जंजूहं होइ सुद्धवि महल्लं
तं तरुणरहसपोइयमयगुम्मइअं सुहं हंतुं (२०९) युइमंगलमामंतण नागच्छइ जोय पुच्छिओ न कहे
तस्सुवरि ते दोसा तम्हा मिलिएसु पुच्छेना (२१०) केई भणंति पुब्बं पडिलेहिअ एवमेव गंतव्दं
तं च न जुञ्जइ वसही फेडण आगंतु पडिणीए (२११) कपरी दिसा पसत्या अमुईसव्वेसिं अनुमई गमणं
चउदिसि तिदु एग वा सत्तग पणगं तिग जहन्नं
||१३१1-130
॥१३२॥-131
॥१३३||-132
॥१३४||-133
॥१३५||-134
॥१३६॥-135
॥१३७1-136
॥१३८॥-197
॥१३९||-138
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