Book Title: Agam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सपक्ख( पक्खओ) गंता भवति आसायणा सेहस्स, सेहे रायणियस्स आसण्णं गंता भवति आसायणा सेहस्स, एवं एएणं अभिलावेणं, सेहे राइणियस्स पुरओ चिट्टित्ता भवति आसायणा सेहस्स, सेहे राइणियस्स सपक्खं चिद्वित्ता भवति आसायणा सेहस्स, सेहे रायणियस्स आसण्णं चिहित्ता भवति आसायणा सेहस्स, सेहे राइणियस्स पुरओ निसीइत्ता भवति आसायणा सेहस्स, सेहे रायणियस्स सपक्खं निसीइत्ता भवति आसायणा सेहस्स, सेहे राइणियस्स आसन्न निसीइत्ता भवति आसायणा सेहस्स, सेहे राइणिएण सद्धि बहिया वियारभूमिं निक्खंते समाणे तत्थ पुव्वामेव सेहतराए आयामति पच्छ। रायणिए आसायणा सेहस्स १० सेहे राइणिएणं सद्धिं बहिया विहारभूमिं वा वियारभूमि वा निक्खते समाणे तत्थ पुत्वामेव सेहतराए आलोएति पच्छ। राइणिए आसायणासेहस्स, केइ राइणियस्स पुव्व संलत्तए सिया तं पुवामेव सेहतराए आलवइ पच्छ। राइणिए आसायणा सेहस्स,सेहे रायणियस्स राओ वा वियाले वा वाहरमाणस्स अजो! के सुत्ते ? के जागरे ? तत्थ सेहे जागरमाणे राइणियस्स अप्पडिसुणित्ता भवति आसायणा सेहस्स, सेहे असणं वा० पडिग्गाहिज्जा तं पुव्वामेव सेहतरागस्स आलोएति पच्छ। राइणियस्स आसायण' सेहस्स, सेहे असणं वा० पडिग्गाहित्ता पुवामेव सेहतरागं पडिदंसेति० आसायणा सेहस्स, सेहे असणं वा० पडिग्गाहित्ता पुवामेव सेहतरागं उवणिभंतेति पच्छा राइणिए आसायणा सेहस्स, सेहे राइणिएणं सद्धिं असणं वा० पडिगाहित्ता तं राइणियं अणापुच्छित्ता जस्स २ इच्छति तस्स २ खद्धं २ दलयति आसायणा सेहस्स, सेहे राइणिएण सद्धिं असणं वा० आहारेमाणे तत्थ सेहे खद्धं श्रीदशाश्रुतस्कंधसूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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