Book Title: Agam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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धमे पण्णत्ते जाव माणुस्सगा खलु कामभोगा अधुवा तहेव संति उड्ढं देवा देवलोयंसि अण्णं देवं अण्णं च देवी अभिजुंजिय || २ परियारेति णो अपणा चेव अप्पाणं विउव्विय २ परियारेंति, जति इमस्स तवनियम तं चेव जाव एवं खलु समणाउसो! निग्गंथो वा निग्गंथी वा निदाणं किच्चा अणालोइय अप्पडिझंते जाव विहरति, से णं तत्थ अण्णे देवे अण्णाओ देवीओ अभिमुंजिय २ परियारेति, णो अपणा चेव अप्पाणं विव्विय २ परियारेंति, से णं ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं तहेव वत्तव्यं णरं हता सदहिज्जा पत्तिएजा रोएजा, से णं सीलवयगुणव्वयवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासाई पडिवजेजा?, नो इणढे समढे, सेणं दसणसावए भवति अभिगयजीवाजीवे जाव अद्विमिंजपेमाणुरागरते जाव एस अडे० सेसे अण्डे, से णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणे बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणइ त्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णतरेसु देवलोगेसु देवेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तं एवं खलु समणाउसो! तस्स निदाणस्स इमेयारूवे पावफलविवागे जंणो संचाएइ सीलव्वयगुणवयरमणपच्चक्खाणपोसहोववासाई पडिवज्जित्तए।५२। एवं खलु समणाउसो! मए धम्मे पं० तं चेव सव्वं जाव से य परकममाणे | देवमाणुस्सएहिं कामभोगेहिं निव्वेदं गच्छेज्जा, माणुस्सगा खलु कामभोगा अधुवा जाव विप्पजहणिज्जा, दिव्वावि खलु कामभोगा
अधुवा अणितिया असासया चला च्यणधम्मा पुणरागमणिज्जा पच्छा पुव्वं च णं अवस्सविष्पजहणिज्जा, जति इमस्स तवनियम जाव आगमिस्साणं जे इमे भवंति उग्गयुत्ता महामाउया जाव पुमत्ताए पच्चायंति, तत्थ णं समणोवासए भविस्सामि ॥ श्रीदशाश्रुतस्कंधसूत्र
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पू. सागरजी म. संशोधिता
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