Book Title: Agam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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| पुव्वागमणेणं दोवि पुव्वाउत्ताई कप्पंति से दोवि पडिगाहित्तए, तत्थ से पुव्वागमणेणं दोवि पच्छाउत्ताई नो से कप्पंति दोवि|| पडिगाहित्तए, तत्थ जे से पुव्वागमणेणं पुव्वाउत्ते से कप्पति पडिगाहित्तए, जे से तत्थ पुव्वागमणेणं पच्छाउत्ते नो से कप्पड़ पडिगाहित्तए, तत्थ णं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविठुस्स कम्पइ एवं वइत्तए समणोवासगस्स पडिमापडिवण्णस्स भिक्खं दलयह, एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणं केइ पासित्ता वदेजा के आउसो! तुमं वत्तव्यं सिया?, समणोवासए पडिमं पडिवजिते अहमंसीति वत्तव्वं सिया, सेणं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणे जह० एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उदो० एक्कारस मासे विहरेजा, एघारसमा उवासगपडिमा, एत्ताओ खलु ताओ थेरेहिं भगवंतेहिं एगारस एवासगपडिमाओ पण्णताओ ति बेमि३०॥ श्रमणोपासकप्रतिमाध्ययनं६॥
सुयं मे आउसंतेणं भगवया एवमक्खायं इह खलु हेरेहिं भगवंतेहिं बारस भिक्खुपडिमाओ पं०, कयराओ खलु ताओ जाव | पं०?, इह खलु एताओ० पं० २०-मासिया भिक्खुपडिमा दोमासिया भिक्खुपडिमा तिमासिया भिक्खुपडिमा चउमासिया पंचमासिया छम्मासिया सत्तमासिया पढमा सत्तराईदिया दुच्चा सत्तराईदिया तच्चा सत्तराइंदिया अहोराइंदिया एगराइंदिया भिक्खुपडिमा।३१। मासियं णं भिक्खुपडिमं पडिवनस्स अणगारस्स निच्चं वोसढकाए चियत्तदेहे जे केई उक्सग्गा उप्पजति तं०दिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा ते उप्पण्णे सम्म सहति खमति तितिक्खति अहियासेति, मासियं णं भिक्खुपडिम ॥श्रीदशाश्रुतस्कंधसूत्र।।
पू. सागरजी म. संशोधित
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