Book Title: Agam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दत्तीओ, जत्थ जत्तिया मासा तत्य तत्तिया दत्तीओ।३३। पढमं सत्तराइंदियं णं भिक्खुपडिमं पडिवण्णस्स अणगारस्स निच्चं वोसिट्ठकाए जाव अहियासेइ, कप्पड़ से चउत्थेणं भत्तेणं अपाणएणं बहिया गामस्स वा जाव रायहाणीए वा उत्ताणगस्स वा पासेल्लगस्स वा नेसज्जियस्स वा ठाणं ठाएत्तए, तत्थ दिव्वमाणुसतिरिक्खजोणिया उवसग्गा समुपजिजा, तेणं उत्सग्गा० पयलिज वा पवडिज वा नो से कप्पइ पयलित्तए वा पवडितए वा, तत्थ से उच्चारपासवणे उब्बाधेजा नो से कप्पइ उच्चारपासवणं ओगिण्हेत्तए, कम्पइ से पुव्वपडिलेहियंसि थंडिलंसि उच्चारपासवणं परिद्ववित्तए, अहाविधिमेव ठाणं ठाइत्तए, एसा खलु पढमा सत्ताइंदिया भिक्खुपडिमा अहासुत्तं जाव आणाए अणुपालिता भवति, एवं दोच्चा सत्तराईदियावि, नवरं दंडातियस्स वा लगंडसाइस्स वा उक्कडुयस्स वा ठाणं ठाइत्तए, सेसं तं चेव जाव अणुपालिता भवति, एवं तच्चा सत्तराईदियावि भवति, नवरं | गोदुहियाए वा वीरासणियस्स वा अंबखुजस्स वा ठाणं ठाइत्तए, एवं चेव जाव अणुपालिता भवति३४। एवं अहोरातियावि, नवरं छटेणं भत्तेणं अपाणएणं बहिया गामस्स वा जाव रायहाणियस्स वा ईसिं दोवि पाए साहटु वग्धारियपाणिस्स ठाणं ठाइत्तए, सेसं तं चेव जाव अणुपालिता भवति, एगराई णं भिक्खुपडिमं पडिवनस्स अणगारस्स निच्चं वोसिटकाए जाव अहियासेति, कप्पड़ से अट्ठमण भत्तेणं अपाणएणं बहिया गामस्स वा जाव रायहाणीए वा ईसिपब्भारगएणं कारणं एगपोग्गलहिताए दिट्ठीए| अणिमिसनयणे अहापणिहितेहिं गत्तेहिं सविदिएहिं गुत्ते दोवि पाए साहटु वग्धारियपाइमस ठाणं ठाइत्तए, तत्थ से श्रीदशाश्रुतस्कंधसूत्र | २१ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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