Book Title: Agam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चीणंसुयवस्थपवरपरिहिया दुगुल्लसुकुमालकंतरमणिजउत्तरिना सव्वोउयसुरभिकुसुमसुंदररइयपलंबसोहंतकंतविक संतचित्तमाला वरचंदणचच्चिया वराभरणभूसियंगी कालागुरुधूवधूविया सिरीसमाणवेसा बहूहिं खुजाहिं चिलातियाहिं जाव महत्तरगाविंदपरिक्खित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छइ ४३।तए णं से सेणिए राया चिल्लणाए देवीए सद्धिं धम्मियं जाणप्पवरं दुरूहतिसकोरिटमल्लदामेणं छत्तेणंधरिजमाणेणंउववाइयगमेणंजाव पजुवासइ,एवं चेल्लणाविजावमहत्तगाविंदपरिक्खित्ता जेणेव समणे भगवं महावरि तेणेव उवागच्छति त्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति त्ता सेणियं रायं पुरओ काउं ठितिया चेव पज्जुवासति, तते णं समणे भगवं महावीरे सेणियस्स रण्णो भंभासारस्स चिल्लणाए य देवीए तीसे महतिमहालियाए परिसाए जइपरिसाए इसि० मुणि० देव० मणुस्स० देवी० अणेगसयाए जाव धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया, सेणिओ राया पडिगओ४४। तत्थेगतियाणं निग्गंथाण य निग्गंथीण य सेणियं रायं चिल्लणं देवीं पासित्ताणं इमेयारूवे अझथिए जाव संकप्पे समुप्पजित्था अहो णं सेणिए राया महड्ढिए जाव महासोक्खे जे णं हाए कयबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिते चिल्लणाए देवीए सद्धिं उसलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरति, न मे दिढ़े देवे देवलोगंमि, सक्खं खलु अयं देवे, जइ इमस्स तवनियमबंभचेरवासस्स फलवित्तिविसेसें अस्थि तया वयमवि आगमेस्साए इमाइं उसलाई एयारूवाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणा विहरामो सेतं साहू, अहो णं चिल्लणा देवी महिड्ढिया जाव महासोक्खा जा णं ण्हाया क्यबलिकममा जाव ॥ श्रीदशाश्रुतस्कंधसूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55