Book Title: Agam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
यावि भवति, से तं अकिरियावादी॥१८से किं तं किरियावादी?, २ भवति तं०-आहियवादी आहियपणे आहियदिट्ठी सम्मावाई | नियावाई संतिपरलोयवादी अस्थि इहलोए अत्थि परलोए अस्थि पिया अस्थि माता अस्थि अरिहंता अस्थि चक्कवट्टी अस्थि बलदेवा अस्थि वासुदेवा अस्थि सुकडदुक्कडाणं कमाणं फलवित्तिविसेसे सुचित्रा कममा सुचत्रिफला भवंति दुच्चिण्णा कम्मा दुच्चिण्णफ्ला भवंति सफले कल्लाणपावए पच्चायति जीवा अस्थि नेरइया अस्थि देवा अस्थि सिद्धी, से एवंवादी एवंपने एवंदिट्ठी एवं छंद। गभिनिविटे आवि भवति, से भवति महिच्छे जाव उत्तरगामिए नेरइए सुक्कपक्खिए आगमेसाणं सुलभबोहिए यावि भवति, से तं किरियवादी।१९। सव्वधम्माई यावि भवति, तस्स णं बहूई सीलव्वयगुणवयवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववसाइं नो सम्म पट्ठवितपुव्वाई भवंति, एवं दसणसावओ पढमा उवासगपडिमा॥२०॥ अहावरा दोच्चा उवासगपडिमा सव्वधम्मरुई यावि भवति, तस्स णं बहूई सीलवयगुणवयवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासाई सम्म पढविताई भवंति, से णं सामाइयदेसावगासियं नो सम्म अणुपालित्ता भवति, दोच्चा उवासगपडिमा२१। अहावरा तच्चा उवासगपडिमा सव्वधम्मरुई यावि भवति, तस्स णं बहूइं| सीलवयगुणवयवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासाई सम्म पढविताई भवंति, से णं सामाइयदेसावगासियं सम्म अणुपालित्ता भवति, सेणं चाउद्दसअट्ठमीउद्दिट्ठपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं नो सम्म अणुपालेत्ता भवति, तच्चा उवासगपडिमा२२।अहावरा चउत्था उवसागपडिमा सव्वधम्मरुई यावि भवति, तस्स णं बहूई सीलवय जाव सम्म पट्टविताई भवंति, से णं सामाइयदेसावगासियं ॥श्रीदशाश्रुतस्कंधसूत्र ।।
| १४ |
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55