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दसवेआलियं (दशवकालिक)
अध्ययन ७: श्लोक २१-२७
२१-२४पंचिदियाण पाणाणं
एस इत्थी अयं घुस । जाब णं न विजागेज्जा ताव जाइ ति आलवे ॥
पञ्चेन्द्रियाणां प्राणानां, एषा स्त्री अयं पुमान् । यावत्तां (तं) न विजानीयात, तावत् 'जातिः' इत्यालपेत् ॥२१॥
२१ -... पंचेन्द्रिय प्राणियं के बारे में जब तक - यह स्त्री है या पुरुष ...ऐसा न जान जाए तब तक गाय की जाति, घोड़े की जाति-~-इस प्रकार बोले।
२२-"तहेव मजुस्सं पसं
पक्खि वा वि सरीसिव।। थूले गमेइले दो पाइमे ति य नो वए॥
तथैव मनुष्यं पशु. पक्षिणं वाऽपि सरीसृपम् । स्थूलः प्रमेदुरो बध्यः (वाह्यः), पाक्य (पात्य) इति च नो वदेत् ।।२२।।
२२-२३ - इसी प्रकार मनुष्य, पशु-पक्षी और सांप को (देख यह) स्थूल, प्रमेदुर, वध्य (या बाह्य)६ अथवा पाक्य है, ऐसा न कहे । (प्रयोजनवश कहना हो तो) उसे परिवृद्धा कहा जा सकता है, उपचित कहा जा सकता है अथवा संजात (युवा)", प्रीणित और महाकाय कहा जा सकता है।
२३–परिवुड्ड ति णं खूया
बूया उचिए ति य । संजाए पीणिए वा वि महाकाए ति आलवे ॥
परिवृद्ध इत्येनं ब्रूयात्, ब्रूयादुपचित इति च । संजातः प्रीणितो वाऽपि, महाकाय इत्यालपेत् ॥२३॥
२४-तहेव गाओ दुमाओ
दम्मा गोरहग तिय। वाहिमा रहजोग ति । नेवं भासेज्ज पन्नवं ॥
तथैव गावो दोह्याः, दम्या 'गोरहगा' इति च । वाह्या रथयोग्या इति, नैवं भाषेत प्रज्ञावान् ॥२४॥
२४-२५ -- इसी प्रकार प्रज्ञावान् मुनि गायें दुहने योग्य हैं, बैल४ दमन करने योग्य है३५, वहन करने योग्य है३६ और रथयोग्य है... इस प्रकार न बोले।
(प्रयोजनवश कहना हो तो) बैल युवा है'६, धेनु दूध देने वाली है, (बैल) छोटा है, बड़ा है अथवा संबहन--धुरा को वहन करने वाला है४१.... यों कहा जा सकता है।
२५-३जुवं गवे त्ति णं बूया
धेj रसदय ति य। रहस्से महल्लए वा वि वए संवहणे ति य॥
युवा गौरित्येनंब यात्, धेनुं रसदा इति च । हस्बो वा महान् वाऽपि, वदेत् संवहन इति च ॥२५॥
२६-तहेव गंतुमुज्जाणं
पव्वयाणि वणाणि य। रुक्खा महल्ल पेहाए नेवं भासेज्ज पन्नवं ॥
तथैव गत्वोद्यानं, पर्वतान् वनानि च । रुक्षान् महतः प्रेक्ष्य, नैवं भाषेत प्रज्ञावान् ॥२६॥
२६.-इसी प्रकार उद्यान, पर्वत और बन में जा वहाँ बड़े वृक्षों को देख प्रज्ञावान् मुनि यों न कहे
२७–अलं पासायखंभाणं
तोरणाणं गिहाण य। फलिहरगलनावाणं
उदगदोणिणं॥
अलं प्रासादस्कम्भोभ्यां, तोरणेभ्यो गृहेभ्यश्च । परिघार्गलनौभ्यः, अलं उदकद्रोण्यै ॥२७।।
२७- (ये वृक्ष) प्रामाद४२, स्तम्भ, । तोरण (नगरद्वार), घर, परिध, अर्गला, नौका और जल की कुंडी के लिए४४ उपयुक्त (पर्याप्त या समर्थ) हैं।
अलं
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