Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Dasaveyaliyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 608
________________ परिशिष्ट २ पदानुक्रमणिका पद कुंडमोसु वा पु कृपया पूरिसकारिय कुजासाहि संच कुततीहि विहम्मद कुमुदुप्पलना लिय ५२ २३ कुमुयं वा मगदंतियं ५।२।१४; १६ कुम्मो व्व अल्ली पलीण गुत्तो ८|४० |४|१| १४:५०२३२५ कुलं उच्चावयं सया कुलस्स भूमि जाणित्ता कुले जाया अगंध कुमार देवकिपि ५।१।२४ २२६ कुव्वइ सो पयखेमप्परणो केइत्थ देवलोएस के सिजति नीरवा कोदुगं परिवज्जए कोट्टगं भित्तिमूर्ण वा कोलाई आव कोहं मारणं च मायं च कोहा वा जइ व भया कोहो पीहं परणासेड कोहोय मारतो व अहिया ख पासमति साहा खन्ती य बम्भचेरं च मेह भवराहं मे सविता पुष्वकम्मा वित्त कम्यं गल गय सर्वेति अप्पाराममोहदंगिणी खाइमं साइमं तहा स्थल ६।५० ५।२६ ८५२ Zotra Jain Education International ५१२४६ ६४६ ३|१४ ३।१४ ५।१।२० ५।११८२ ५१००१ ८।३६ ६।११ २७ ३२ २२२२२२ ६।६७ ५।१४४७, ४९, ५१ ५३,५७,५६,६१ ४।२८ लिप्यं गति अमरभवणाई खुप्पिवासाए परिगया खुहं पिवासं दुस्सेज्जं खेमं धायं सिवं ति वा बेनं सिपारण जल्लियं खे सोहई विमले अभमुक्के ग गई च गच्छे अणभिज्भियं दुहं चू० ११३४ गंडिया व अलं सिया ७/२८ ३।२ गंधमय बी गंभीर सिरं व ५।१।६६ पद गंभीर विजया एए गणिमागम संपन्न गाओ पाओ गमणागमले चैव गणेसु न चिट्ठज्जा गामे कुले वा नगरे व देसे गायस्सुव्वट्टरणट्टाए गावस्तुस्वट्टणाणि य गायाभंग विभूसणे हाहि साहूगुण सा गिरं च दुट्ठ परिवज्जए सया गिरं भासेज्ज पन्नवं गिहत्था विगं गरहंति गहत्था विणं पूयंति गिहिजोगं परिवज्जए जेस भिक्खु गिहिजोगं समायरे मिहिरो उपभोगा गिहिरो तं न आइक्खे गिहिरणो वेयावडियं गिहिरो देवाडियं न कुजा मिहिन फुज्या गिही पव्वइएन से नितरनिसे गुरमारचरित य २१ ४०२७ २२११० मुखा ३५१५ गुणाहियं वा गुणओ समं वा ५५७ मुणे आवरियसम्मए गुणेहि साहू अगुणेहि साहू गुरु तु नासाययई स पुज्जो गुरु पसायाभिमुहो रमेज्जा गुरुभूओवघाइणी २०२८ गुरुमिव परियमुखी ८।२७ ७५१ गुम्बिसीए उवन्तत्वं १८ गुवि कालमासिणी ६।११५ गेरुय वणिय सेडिय गोग्गगओ मुणी गोवरमपवित गोरापविद्धो उ गुरुस्सगासे विरणयं न सिक्खे सासु भिलुगाय घ स्थल ६।५५ ६।१ ७/३५ ५१२८६ ८। ११ ०२८ ६।४५ ३.५ ३६ ३११ ७३ ५।२।४० ५।२४५ १०/६ ८।२१ ६।२।१३ ८।५० ३।६ चू०२१६ ८५२ ६।१८ ३५ ७५३ ५।१।३६ ५।१६४० ५।१।३४ ५११२,२४५ २६ ६।५७ ५|१|१६; ५२२८ पद च यायावगए अरिस्सिए चउकसायावगए स पृज्जो चं खलु भासारखं उत्थं पायमेव य विहाल आधारमाही ५।२।४१ ०२/१० विद्वत्ता व संज ८/६० ६६३।११ ६३२ हा१1१० ७।११ २०३०१५ ११ For Private & Personal Use Only चरिया गुणाय नियमा चरंतो न विणिज्भाए चरे उंछं अयंपिरो चरे मंदमविरो चरेणी पंचतत चारुवियपेयिं चविवहा खलु तवसमाही चव्विा खलु विरयसमाही विवहा खलु सुयसमाही भवइ... ६।४।०५ चएज्ज देहं न उ धम्मसासरणं चू०१।१७ च ठियप्पा अणिहे जे स भिक्खु १०।१७ ६।२७, ३०,४२,४५ अ चत्तारि एए कसिरगा कसाया चत्तारि वमे सया कसाए चिट्ठज्जा गुरुतिए चिन निभाए चित्तमंतमचित्तं वा छंद से पडिले हए छंदिय साहम्मियाण भुंजे छत्तस्स य धारणट्ठाए स्थल भवइ... ६६४/०७ ७५७ ६।३।१४ ७१ ६।४७ चियत्तं पविसे कुलं नृयस्स धम्माउ अहम्मदियो भूलिये तु पक्षस्यामि चओ कुपई नरो चोइओ वहई रह भवइ... ६४/०६ संजय सामणिए गया जए छाया ते विगलितेंदिया ६९१ वाहिदो विराज रागं भवइ.. ६|४|सू०४ ८३६ १०१६ चू० २/४ ५।१।१५ ८२३ श१२ |३|१४ ८५७ शरा ८।४५ ८।५४ ६।१३ २०१।१७ चू० २।१ हा२1४ हारा१६ ५।१।३७ १०१६ ३४ ७५६ ६६२७ २५ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632