Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Dasaveyaliyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 613
________________ ५६२ दसवेआलियं ( दशवकालिक ) पद स्थल ३।११ ८७ ६।५२ ३२१,१० स्थल नेव पुंछे न संलिहे नेवं भासेज्ज पन्नवं ७।१४,२४,२६,२६,४७ नेव भिदे न संलिहे नो णं निम्बावए मुणो ८८ नो सां संघट्टए मुणी ८ नो भायए भय-भेरवाई दिस्स १०।१२ नो भावए नो वि य भावियप्पा है।३।१० नोय णं फरुसं वए ५।२।२६ नो वि अन्नं वयावए ६।११ नो वि अन्नस्स दावए ५३११८० नो वि गेण्हावए परं ६।१४ नो वि पए न पयावए जे स भिक्खू १०१४ मोहीलए नो वि य खिसएज्जा ६।३।१२ ६.२५ ६।१०,१६ 632 ५।।३६ ६.२० स्थल पद न वा लभेज्जा निउणं सहायं चु०२।१० निगंथा उज्जुदंसिणो न यावि मोक्खो गुरुहीलणाए ।१।७,८,९ निगंथा गिहिभायणे न यावि हस्सकुहए जे स भिक्खू १०।२० निग्गंथाण महेसिणं नरयं तिरिक्खजोणि वा ५।२।४८ निग्गंथाणं सुमेह मे नरस्सत्तगवेसिस ८१५६ निग्गंथा धम्मजीविणो न लवे असाहुं साहु ति ७१४८ निग्गंथा पडिलेहाए न लवेज्जोवघाइयं ८।२१ निग्गंथा राइ भोयणं न लाभमत्ते न सुएणमत्ते १०।१६ निग्गंथा वज्जयंति णं नवाइ पावाइं न ते करेंति. ६।६७ निच्च कुललओ भयं न विसीएज्ज पंडिए ५।२।२६ निच्चं चित्तसमाहिओ हवेज्जा न वीएज्ज अप्पणो कार्य निच्च होयव्वयं सिया न सम्ममालोइयं होज्जा ५।११६१ निच्चुब्विग्गो जहा तेणो न सरीरं चाभिकखई जे स भिक्ख १०।१२ निट्ठाणं रसनिज्जूढं न सा महं नो वि अहं पि तीसे २१४ निद्द च न बहुमन्नेज्जा न से चाइ ति बुच्चई २१२ निद्द सवती पुण जे गुरूण न सो परिग्गहो वुत्तो निमतेज्ज जहक्कम न हरणे णो वि घायए ६।४ निमित्तं मंत भेसज न हासमाणो वि गिरं वएज्जा ७१५४ नियच्छई जाइपहं खु मंदे नाइदूरावलोयए ५।११२३ नियटेज्ज अयंपिरो नाणदंसणसंपन्न ६।१७।४६ नियडि च सुरणेह मे नाणमेगग्गचित्तोग य ६।४।३ नियत्तणे वट्टड सच्चवाई नाणापिंडरया दंता ११५ नियागमभिह्डाणि य नाणाहुईमंतपयाभिसित्तं ६।१११ निरओवमं जाणिय दुक्खमुत्तमं नाणुजारणति संजया ६.१४ निवारणं च न गच्छई नामधिज्जेण रणं बूया ७.१७ निसन्ना वा पुणुट्टए नामधेज्जेण णं बूया ७२० निसेज्जा जस्स कप्पई नायपुत्तवओरया ६।१७ निस्संकियं भवे जंतु नायपुत्तेण ताइणा ६।२० निस्सेणि फलगं पीढं नायपुत्तेण भासियं ५।२।४६;६।२५ निस्सेस चाभिगच्छई नायरंति कयाइ वि ६।४५ नी कुज्जा य अंजलि नायरंति ममाइयं ६।२१ नीयं कुलमइक्कम्म नायरंति मुणी लोए ६.१५ नीयं च आसणाणि य नाराहेइ संवरं ५।२।३६,४१ नीयं च पाए वंदेज्जा नारि वा सुअलंकियं ८।५४ नीयं सेज्जं गई ठाणे नारीणं न लवे कहं ५१५२ नीयवारं तमसं नालं तण्हं विणित्तए ५।११७८,७६ नीलियाओ छवि इ य नावाहिं तारिमाओ त्ति ७।३८ नीसाए पीढएण वा नासंदीपलियंकेसु ६।५४. नेच्छन्ति वंतयं भोत्त निकायम्ममाणाय बुद्धवयणे १०१ नेयं ताईहिं सेवियं निक्खम्म बज्जेज्ज कुसीलिंग १०१२० नेव किच्चाण पिडओ निग्गंथत्ताओ भस्सई ६।५ नेव गूहे न निण्हवे ७.२१ ३१२ ७१२ २।११ ८.४१ पए पए विसीयंतो ६।२।२३ पंकोसन्नो जहा नागो चू०१८ ५।१६५ पंचनिग्गहणा धीरा ८1५० पंच य फासे महत्वयाई १०१५ पंचासव परिन्नाया ३।११ ५।११२३ पंचासवसंवरे जे स भिक्खु १०।५ ५।२।३७ पंनिदियाण पाणार ६।३।३ पंडगं पंडगे त्ति वा पंडिया पवियनखणा चू०१।११ पक्कमति महेमिणो ३२१२ ५२.३२ पक्खंदे जलिय जोई ५।११४० पक्खलते संजए ५१५ ६:५६,५६ पविख वा वि सरीसिवं ७।२२ ७१० पगईए मंदा वि भवंति एगे ५।११६७ पच्चक्खओ पडिणीयं च भासं ६३६ हा२।२ पच्चरखे वि य दीसओ शरा२८ ५।२।१७ पच्चुप्पन्न-मणागए ७८,९,१० ५।२।२५ पच्छाकम्म जहिं भवे ५।१।३५ ६।२।१७ पच्छाकम्म पूरेकम्म ६:५२ ६।२।१७ पच्छा होइ अपूइमो चु०११४ ६।२।१७ पच्छा होइ अवंदिमो चू०१३ ५।१।२० पडिकुटु-कुलं न पविसे शश१७ पडिकोहो अगारिणं ६५७ ५।११४५ पडिगाहेज्ज कप्पियं ५।१२७,६।४७ पडिगाहेज्ज संजए ५।११६५.७७,८६ पडिग्गहं संलिहिताणं शरा१ ८१४५ पडिच्छन्नम्मि संवुडे ५।११८३ ८।३२ पडिपुच्छिऊण सोच्चा वा ५।१७६ २१६ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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