Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Dasaveyaliyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 589
________________ ५३८ दसवेआलियं ( दशवकालिक ) पृष्ठ संख्या ४६७ टिप्पणी संख्या ६३ आधारभूत शब्दादि पृष्ठ संख्या टिप्पणी संख्या .४४२ १५१ २२६ ४६१ २४६ १६० cी GoI WG PM ३७६ ३५९ १७३ ३०५ ४६६ २४० १५३ १६० ४०. ९०1995 0 ३८६ १७ आधारभूत शब्दादि उंछ (१०.१७) उजेज्जा (४ासू०२०) उक्क (४ सू०२०) उक्कटं (५।१:३४) उच्चारभूमि (८।१७) उच्चावयं पाणं (५११७५) उच्छूखंडं ।५।२।१८) उच्छुखंडे (३१७) उच्छोलणापहोइस्स (४।२६) उज्जागम्मि (६१) उज्जालिया (५१.६३) उज्जालेज्जा (४.सू०२०) उज्जुदंसिणो (३।११) उज्जुमइ (४।२७) उत्तिंग (५।११५६) उत्तिग (८.११) उत्तिंग (८।१५) उदउल्लं अप्पणो कार्य (८७) उदउल्लं बीयसंसत्त (६।२४) उदओल्लं (४सू०१६) उदओल्ले ससिगिद्ध (५।१।३३) उदगं (४।सू०१६) उदगदोरिगणं (७१२७) उदगम्मि (८.११) उद्देसियं (३।२) उद्देसियं (१०।४) उप्पन्नदुक्खेणं (चूसू०१) उप्पल (५।२।१४) उप्पिलोदगा (७१२६) उप्फुल्ल न विणिज्झाए (५।१।२३) उब्भिया (४।०६) उन्भेइम (६।१७) उ भयं (४।११) उम्मीसं (५२११५५) उयरे दंते (८।२६) उरु समासे ज्जा (८।४५) उल्लं (५।१।६८) उवचिए (७२३) उवयारं (६।२।२०) orrm mmm wrom m Mxxxx HGm GG ० ० GK ३४७ उववज्झा (६।२।५) उववाइया (४.सू०६) १२६ उवसंते (१०।१०) उवसंपज्जित्ताणं विहरामि (४।सू०१७) १४६ उसमेण (८१३८) ४०२ उवसमेण हणे कोह (८।३८) ४०२ . उवस्सए (७।२६) उवहिणामवि (६।२।१८) उवहिम्मि अमुच्छिए अगिद्ध (१०।१६) उसिणोदगं तत्तफासुयं (८६) उस्सक्किया (५।१।६३) उस्सिचिया (५।१।६३) ऊसे (सू०३३) एगंत (४।सू०२३) एर्गतं (५।१।११) एगभत्तं च भोयणं (६।२२) एमए (१।३) एयं (७४) एयमट्ठ (६१५२) ३२४ एलगं (५।२२) २१६ एलमूययं (५।२।१४८) २८६ एवं चिट्ठइ सव्वसंजए (४.१०) १६४ एसणे रया (१३) एसमाधाओ (६।३४) ३२० ओग्गहं सि अजाइया (५।१।१८) २१६ ओमाण (चू० २१६) ओयारिया (५।११६३) ओवत्तिया(५।१।६३) ओवायं (५।१।४) ओवायवं (६।३३३) ओसं (४।सू०१६) ओसक्किया (५।१।६३) ओसन्नदिहाहडभत्तपारणे (चु० २१६) ओसहीओ (७:३४) ओहाण (चु० ११) ओहारिणि (६:३।६) ओहारिणी (७१५४) कते पिए (२।३) २५ . २२८ ७६ १८ ४८७ ५१० २७७ २४१ ३६२ १४१ २२१ १२६ १४७ 20xxx www ३२८ ४०६ २५७ १२४ २२६ ३० ३० ३५५ ४४७ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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