Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Dasaveyaliyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 598
________________ परिशिष्ट-१ : टिप्पण-अनुक्रमणिका ५४७ टिप्पणी संख्या संख्या पृष्ठ संख्या टिप्पणी संख्या १२ २४ १४८ १५८ ३६२ २३६ ४११ Mrrr imur 9. or. Mr9 १५७ १०५ ४६६ २८२ ४०१ ३२६ ४२० ४६१ ६२ २२४ २५७ २७८ १७० १७४ १४६ १५७ ३८८ २९ ३५६ आधारभूत शब्दादि विपिट्टिकुम्बई (२३३) विप्पमुक्काण (३।१) विभूसणे (३।६) विभूसा (८५६) विमाणाइ (६।६८) वियं जियं (८।४८) वियक्खणो( ५२११२५) विषडं (५।२।२२) वियडभावे (३२) वियडेण (६।६१) विरस (५।१।६८) बिरालियं (श२०१८) विराहेज्जासि (४।२८) विलिहेज्जा (४१सू०१८) विविहं (१२) विविहगुणतवोरए (१०।१२) विसं तालउडं (८1५६) विसमं (५।१।४) विसोत्तिया (५।१६) विहारचरिया (चू०२।५) विहुयणेण (४:सू०२१) वीयणे (३३२) वीसमेज्ज खरणं मुणी (५२११६३) वुग्गहियं कहं (१०११०) वुट्ठ (८१६) वेयं (३।४सू०४) वेयइत्ता मोक्खो, नत्थि अवेयइत्ता, तवसा वा झोसइत्ता (चु०१।सू०१) वेराणुबंधीणि (६।३७) वेलुयं (५।२।२१) वेलोइयाई (७३२) वेससामते (५।१६) वेहिमाई (७३२) सइ अन्नेण मग्गेण (५।११६) सइ-काले (श६) संकट्ठाणं (५।१।१५) संक पस्स वसं गओ (२१) संकप्पे (चू० १॥ सू० १) ४१८ २०१ २०५ ५२७ २१ ४२ आधारभूत शब्दादि संकमेण (५।१४) संकियं (५।११४४) संकिलेसकरं (५१।१६) संखडि (७।३६) संघट्टिया (५।१।६१) संघायं (४सू०२३) संजइंदिए (१०११५) संजमजोगयं (८।६१) संजमधुवजोगजुत्ते (१०।१०) संजमम्मि य जुत्तारणं (३।१०) संजमो (१११) संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खाय पावकम्मे (४सू०१८) संजयामेव (४सू०२३) संजाए (७।२३) संडिब्भ (५११:१२) संताणसंतओ (चू०१८) संति साहुणो (१३) संथारं (८।१७) संधि (५।१।१५) संपत्ती (हारा२१) संपत्ते भिक्खकालम्मि (२०११) संपयाईम8 (७७) संपहासं (८।४१) संपुच्छरणा (३३) संबाहणा (३३) संबुद्धा, पंडिया पवियक्खणा (२०११) संभिन्नवित्तस्स (चू० ११३) संलोगं (५।१।२५) संवच्छरं (चू०२।११) संवरं (५।२।३६) संवरसमाहिबहुलेग (चू०२१४) संवहरणे (७।२५) संसग्गीए अभिक्खणं (५।१।१०) संसट्ठकप्पेण चरेज्ज भिक्खू तज्जाय ___संसट्ठ जई जएज्जा (चू०१६) संसे इमं (५।११७५) संसइमा (४।सू ०६) ३६० १५४ १०२ ४४७ १६५ २१० ४०६ ४६६ mm" 1864-2460x0rrm ormsrx . xxx mr.ru ५१३ २८० ३५६ ५२ २०५ ३६० २०२ २७५ २११ له २३ २४ » ५१२ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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