Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Dasaveyaliyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 599
________________ ५४८ दसवेआलियं ( दशवकालिक ) पृष्ठ संख्या टिप्पणी संख्या आधारभूत शब्दादि पृष्ठ टिप्पणी संख्या संख्या २४३ १८२ २७६ १२७ २४ १७ ३०७ ११ १२६ २७ ४८६ १५६ ११२ १४६ ७१ १०५ ४६० ३४६ ३२० १७७ ४२१ ४२० mum room mu KU MMMG OMG G० ०MGM & ५३० २८ ३६६ ३९७ ४०६ २४३ १८० No-9 ") 9xxm Wor 00०० ov ror ur rrrrr १२४ ४६७ ४१६ १६७ २४२ १७८ mr mar ३१२ १२६ आधारभूत शब्बादि सक्कारंति (३।२।१५) सक्कुलि (५।११७१) सखुड्डगविय ताणं (६।६) सचित्तं नाहारए (१०१३) सचितकोलपडिनिस्सिएसु (४।सू०२२) सच्च रए (३३१३) सच्चा अवतव्वा (१२) सज्झाण (८.६२) सज्झायजोग (८१६१) सज्झायजोगे (कू०२१७) सज्झायम्मि (८.४१) सतुचुगणाई (५।१७१) सत्थ (४।सू ०४) सद्धाए (६०) सन्निरं (श१७०) सन्निहिं (६।१७) सन्निहिं (८।२४) सन्निहिओ (१०१६) सन्निही (३१३) सन्निहीकामे (६३१८) सपुन्नाणं (चु० २६१) सबीयगा (८२) सबीया (४ासू०८) स भासं सच्चमोसं पि, तं पि (११) समणा (११३) समणेणं.. महावीरेणं (४।स० १) समत्तमाउहे (८६१) समाए पेहाए (२।४) समारंभं (६।२८) समारंभ य जोइणो (३।४) समावन्नो थ गोयरे (५।२।२) समाहिजोगे... बुद्धिए (१०१६) समाही (३।४।सू०१) समुप्पेह (८७) समुयाणं (शरा२५) सम्मदिट्ठी (४।२८) सम्मदिट्ठी (१०१७) ३६४ २६६ सम्मद्दिया (५।२।१६) सम्मुच्छिमा (४।सू०८) सम्मुच्छिमा (४।सू०६) सलागहत्थेरण (४।सू०१८) सविज्जविज्जाणुगया (६।६८) सव्वओ वि दुरासयं (६।३२) सव्वं (४।सू०११) सव्वदुवख (३।१३) सव्वभावेण (१६) सबभूएसु (८।१२) सव्वसाहूहि गरहिओ (६।१२) सव्वसो (८।४७) सव्व संगावगए (१०।१६) सविदियसमाहिए (५।१।२६) सव्वे पाणा परमाहम्मिया (सू०६) ससक्खं (०२३६) सस रक्खं (४।सु०१८) ससरक्खम्मि (८५) ससरक्खे (५।११३३) सस रक्खेहि पायेहिं (५।१७) ससिरिणद्ध (४।सू ०१६) सहइ (१०।११) साइबहुला (चू।सू०१) साणी (५११८) सामण्णम्मि य संसओ (५।१।१०) सायाउलगस्स (४१२६) सालुयं (श२।१८) सावज्जबहुलं (६।३६) सासयं (७४) सासवनालियं (५।२।१८) साहटु (५१।३०) साहम्मियाण (१०१६) साहस (हा२।२२) साहीणे चयइ भोए (२।३) साहुणो (११३) साहूं साहु त्ति आलवे (७/४८) ४६७ १४६६६ ३६४ २२६ २०३ m x rom 60 ४६२ १० २१६ १२१ GO ४२० १४ २७६ ३१६ ३२१ ३४६ २७६ २२४ २७४ r rrrrr mor" Morror oraru me mm or mr जर ३८६ २८४ ४६ ur १७४ ३६४ २५ ४८८ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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