Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Dasaveyaliyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 575
________________ विविक्तचर्या : द्वितीय चूलिका श्लोक १: १. (तु क): इसे भावचुला का विशेषण माना गया है । इसके तीसरे चरण में आया हुआ 'ज' सर्वनाम सहज ही 'धूलियं तं' पाठ की कल्पना करा देता है। २. जो सुनी हुई है, केवली-भाषित है ( सुयं केवलिभासियं ख ): श्रुत और केवली-भाषित—ये दो शब्द उस वृद्धवाद की ओर संकेत करते हैं जिसमें इस धूलिका को सीमंधर केवली के द्वारा भाषित और एक साध्वी के द्वारा श्रुत' कहा गया है। चूणियों के अनुसार शास्त्र के गौरव-समुत्पादन के लिए इसे केवली कृत कहा है। तात्पर्य यह है कि यह केवली की वाणी है, जिस किसी का निरूपण नहीं है। कालक्रम की दृष्टि से विचार किया जाए तो यह श्रुत-केवली की रचना है--ऐसी संभावना की जा सकती है । 'सुयं केवलिभासियं' इस पाठ को 'सुयफेवलिभासियं' माना जाए तो इसका आधार भी मिलता है। 'सुयं' का अर्थ 'श्रुत-ज्ञान' किया है । यह अर्थ यहाँ कोई विशेष अर्थ नहीं रखता । टीकाकार 'केवली-भाषित' के लिए वृद्धवाद का उल्लेख करते हैं, उसकी चर्चा चुणियों में नहीं है। इसलिए 'श्रुतकेवलि भापित' इसकी संभावना और अधिक प्रबल हो जाती है। ३. भाग्यशाली जीवों की ( सपुन्नाणं ग ) : और सुपुण्य का अर्थ उत्तम पुण्य वाला धुणियों में यह 'सपुण्य' है जब कि टीका में यह 'सुपुण्य' है। सपुण्य का अर्थ पुण्य-सहित होता है। श्लोक २: ४. अनुस्रोत में प्रस्थान कर रहे हैं ( अणुसोयपट्टिए घ): अनुस्रोत अर्थात् स्रोत के पीछे, स्रोत के अनुकूल । जब जल की निम्न प्रदेश की ओर गति होती है तब उसमें पड़ने वाली वस्तुएँ बह जाती हैं। इसलिए उन्हें अनुस्रोत-प्रस्थित कहा जाता है। यह उपमा है । यहां 'इव' शब्द का लोप माना गया है। अनुस्रोत १-हा० टी० ५०२७८ : तुशब्दविशेषितां भावचूडाम् । २---अ० चू० : श्रुयते इति श्रुतं तं पुण सुतनाणं । ३-हा० टी० प० २७८,२७६ । ४-(क) अ० चू०: केवलिय भासितमिति सत्थगोरव मुप्पायणत्यं भगवता केवलिणा भणितं न जेण केण ति। (ख) जि० चू० पृ० ३६८। ५-(क) अ० चू० : सहपुणेण सपुण्णो। (ख) जि० चू० पृ० ३६८ । ६-हा० टी०प० २७६ : 'सुपुण्यानां कुशलानुबन्धिपुण्ययुक्तानां प्राणिनाम् । Jain Education Intemational dain Education Intermational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only

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