Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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मभाप्यनूणिके निगीथसूत्रे पीठिकायां विषय गायाङ्क पृष्टाइ
विषय
गाथाङ्ग पृष्ठा ४- अमूदृष्टि-वार ... २६ १७ चारित्र सम्बन्धी अनिचारों का अमूद्दष्टि का स्वरूप
प्रायश्चित्त ५ - उपवृहण-द्वार
(४) तपाचार
४१-४२ २३-२४ नपस्वी, सेवाभावी. विनया
तपाचार का स्वरूप और स्वाध्यायों की प्रशंसा
तथा तत्सम्बन्धी अतिचारों का करना, नथा उनके प्रति श्रद्धा
प्रायश्चित्त पैदा करना
(५) वीर्याचार
४३.४८ २४-२७
वीर्याचार का स्वरूप ६ - स्थिरीकरण द्वार
वीर्याचार सम्बन्धी अतिचारों माधना से विचिलित होने वाले
का प्रायश्चित्त तपस्वी आदि को स्थिर करना
४४. २५
ज्ञानाचार प्रादि ५ प्राचारों में ७-वात्सल्य-द्वार
वीर्याचार की प्रधानता ४५-४६ . २५-२६ ग्लान नपस्वी बाल वृद्ध आदि
वीर्याचार के ५ भेद के प्रति वात्सल्य भाव रखना ।
प्रकारान्तर मे वीर्याचार के वात्सल्य भाव न रखने पर
५ भेद प्रायश्चित्त
४८ २६-२७
२ अग्र द्वार ४६-५८ २७-३० ८-प्रभावना-द्वार
अग्र के दश भेद द्रव्य अग्र के ७ प्रभावना का स्वरूप ।
और भाव-अग्र के ३ भेद ४६ अमूढ दृटि पर सुलमा का
१ द्रव्याग्र का सोदाहर ग स्वरूप ५० उदाहरण
२ अवगाहनाय का ,, ,, ५१-५२ तपस्वी प्रादि के प्रति श्रद्धा पैदा
३ आदेशाग्र का करने पर राजा थेगिक का
४ कालाग्र का
" उदाहरण
५ क्रमाग का ., " स्थिरीकरण पर आपाढाचार्य का उदाहरण
६ गणनाग्र का वात्सल्य भाव पर वज्रस्वामी
७ मंचयान का ,
८ प्रधान भावान का,, ,, का उदाहरण अथवा नन्दीषण का उदाहरण
६ बहुत , , . आठ प्रभावक
१० उपचार ., , " अमूढ दृष्टि आदि की आराधना
३ प्रकल्प-द्वार . ५६-६२३०-३२ न करने पर प्रायश्चित
प्रकल्प के निक्षेप (३) चरित्राचार ३५-४० २२.२३ द्रव्य प्रकल्प का स्वरूप चरित्रार का स्वरूप चरित्राचार के आठ भेद ३५ २२ . काल ,, , ६२ ३१-३२ समिति-गुप्ति का स्वरूप
भाव
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