Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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जैसा नहीं है । आप भी एक श्रावक महानुभाव है जिनका स्मरण हम यहां मनमें कर लेते हैं, वे अपने नाम को अभिव्यक्त करने की इच्छा नहीं रखते । यदि उनका सहयोग न होता, तो यह कार्य किसी भी प्रकार इतना शीघ्र इस रूप में सम्पन्न नहीं हो पाता। मेरा अपना कर्व त्वः
प्रस्तुत सम्पादन में मेरा उल्लेख योग्य कर्तृत्व कुछ नहीं है। अाजकल शारीरिक स्थिति ठीक नहीं रहती है। मोतिया का आपरेशन हो जाने के कारण अब प्रोखों में पहले जैसी काम करने की क्षमता भी नहीं है । लिखापढ़ी का अधिक काम करने से पीड़ा होती है, और वह कभी-कभी लंबी भी हो जाती है। प्रतः मैं तो एक तटस्थ द्रष्टा के रूप में रहा है। जो कुछ भी कार्य किया है, वह मुनि श्री कन्हैयालालजी ने किया है । वस्तुतः उनका श्रम महान् है. और साथ ही धैर्य के साथ काम करते रहने की अन्तनिष्ठा भी । यह तरुण मुनि काम करने की अद्भुत क्षमता रखता है। मैं प्रस्तुत प्रसंग पर हार्दिक भाव से मुनिश्री के महान् उज्ज्वल भविष्य के लिए मंगल-कामना किए बिना नहीं रह सकता ।
___ संपादन का सारा श्रेय मुनिश्रीजी को है। मेरा तो यत्रतत्र निर्देशन मात्र है, जो अपने आप में कर्तृत्व की दृष्टि से कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं रखता।
यह संक्षित कहानी है निशीथ-सूत्र, भाष्य तथा चूणि के संपादन की। प्रारम्भ अच्छा हुआ है, प्रागा से भरा और पूरा । मैं चाहता हूँ, समाप्ति भी इसी प्रकार आशा के भरे-पूरे क्षणों में हो।
दिनांक मार्गशीर्ष शुक्ला, मौन एकादशी वि० २०१६, सन् १६५७
-उपाध्याय, अमर मुनि
आगरा, उत्तर-प्रदेश
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