Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
६०६
कोहंग [कोभङ्गक] ओ० ६ कोहकसाह [ क्रोधकपायिन् ] जी० १ १३१ ;
६१४८,१४६,१५२, १५५ कोहकसाथ [ क्रोध कषाय ] जी० १।१६ कोहविषे [ोधविवेक ] ओ० ७१
[ख] रा० ६५
खइय [ क्षायिक ] रा० ७६१,८१५ इय [खचित] जी० ३४३७२ स्वभवसम [ क्षयोपशम ] ओ० ११६,१५६ खंजण [ खञ्जन ] ओ० १३. रा० २५. जी० ३१२७८
खंड [ खण्ड ] जी० ३।५६२,६०१,८६६ खंडरक्स] [ खण्डरक्ष ] ओ० १ खंडिय [ खण्डिक] ओ० ६८
वंति [ क्षान्ति ] ओ० २५,४३. रा० ६८६,८१४ खंतिखम [ क्षान्तिक्षम [ ओ० १६४
वह [ स्कन्दग्रह ] जी० ३६२८ खंदमह [स्कन्दमह] २१० ६८८. जी० ३६१५ खंघ [ स्कन्ध ] ओ० ५,८,१३,१६. रा० ४,१२,
२२७,२२८, ७५८,७५६. जी० १/५,७१,७२ ३३२७४, ३८६, ३८७,५६६,६७२, ६७६,७६३ संघमंत [ स्कन्धवत् ] ओ० ५,८. जी० ३।२७४ खंधावरमाण [स्कन्धावारमान ] ओ० १४६. रा० ८०६
संधि [ स्कन्धिन् ] जी० ३१२७४ खंभ] [स्तम्भ ] रा० १७ से २०,३२,६६,१२६,
१३०,१३५,१७५,१६०,१६७,२०६,२११, २७६, २६७,३०२,३२५, ३३०,३३५,३४०. जी० ३१२६४,२६६, २८७, २८८, ३००,३७२, ३७४,४६२,४६७,४६०, ४६५,५००, ५०५, ५६७,६४६,६७३,६७४, ७५६, ८८४, ८८७, ११२८,११३०
खंभडन्तर [ स्तम्भपुटान्तर] रा० १६७. जी० ३।२६६
Jain Education International
कोहंग - खलु
खंभबाहा [ स्तम्भबाहु ] रा० १९७. जी० ३।२६६
खंभसीस [ स्तम्भशीर्ष ] रा० १६७. जी० ३।२६६ खकारपविभत्ति [ खकारप्रविभक्ति ] रा० १५
खग्ग [खड्ग ] ओ० २७, ५१,६६. रा० २४६, ६६४, १३. जी० ३५६२
खपाणि [ खड्गपाणि] रा० ६६४. जी० ३३५६२ afer [ खचित ] जी० ३।४१०
स्वचिय [खचित ] रा० ३२,१६०,२५६,२८५. जी० ३३३३३,४५१
खजूर (सार) [ खर्जूरसार] जी० ३१५८६ खज्जूरसार [खर्जूरसार] जी० ३२८६० खज्जूरिवण [ खर्जूरीवन ] जी० ३१५८१ खट्टोदय [ खट्टोदक ] जी० ११६५ डग [ दे० ] जी० ३।२६२
खण [क्षण ] रा० ११६, ७५१, ७५३ वत्तिय [ क्षत्रिय ] ओ० १४,२३,५२.
रा० ६७१,६८७
खत्तियपरिब्वाय | क्षत्रियपरिव्राजक ] ओ० ६६ खत्तियपरिसा [ क्षत्रियपरिषद् ] रा० ६१,७६७ खन्म | दे० ] जी० ३।७८१, ७८२ खम [ क्षम] ओ० ५२. रा० २७५, २७६,६८७. जी० ३/४४१, ४४२
खप [ क्षत्र ] रा० ७६६
खयर [ खदिर | रा० ४५
खर [खर] ओ० १०१,१२४. जी० १२५७,५८
३३९६.६१८
खरकंड [ खरकाण्ड ] जी० ३,६,७,१४,२३,२६ खरपुढवी [खरपृथ्वी ] जी० ३।१८५,१६१ खरमुहिवाय [खरमुखीवादक ] रा० ७१ खरमुही [ खमुखी | ओ० ६७. रा० १३,७१,७७, ६५७. जी० ३१४४६, ५८८
खल [खल ] ओ० २८
खलबाड [ खलवाट ] रा० ७८१,७८५ से ७८७ खलु [खलु] औ० ५२. रा० ६. जी० १११
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412