Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 336
________________ भवण-भासा ७०१ २४३,२४४,२४६,२७१,२७३,२७६ से २८२ १०५,१०८,१११,११८,१२३, ३।७५,'33, भवण भवन] ओ० १,१४,६६,१८१ रा०६७१, १५६,१६२,२३१,२५०,३५६.३५८,३५६, ६७५,७६६. जी० ३१२३२ से २३४,२४०, ३६,४१२,४६३,६७३,६७६,६८२,७५६, २४४,२४८,५६४,५६७,६०४,६४६ से ६४८, ७६६,७६६,७७५,८००,८०१,८१८,८२८, ६५१,६७३,६५२,६८६,६६२ ले ६६८,७५६ ६३६,६३६,१०४४,१०५०,११२६,११२33; भवणवइ | भवनपति रा० ११,५६. जी० २१६५ ८.२, ६.२२६ भवणवति भवनपति जी० ३।६१७ ।। भामरी [भ्रामरी ] रा० ७७ भवजवासि | भवनवारिन् | ओ० ४८. जी० १.१३५: भाय | भ्रातृ ] जी० ३।६११ २११५,१६,३६,३७,७१,७२,९१,९५,९६,१४८, भाय भाग] रा० ७८८. जी० ३१५७७ १४६; ३।२३० से २३२,१०४२ भाय भाज्-भाएंति. रा० २८१. जी० ३।४४७ भायरक्खिया [भातृ रक्षिता ओ०६२ भवणवासिणी भवनवाहिनी } जी० २१७१,७२, भार [भार| रा०३७४ १४८,१४६ भारह [भारत] रा०८गे १०,१३,१५५६,६६८ भवणावास भवनानास ] जी० ३३२३२ भारुडपक्खि भारुण्डपक्षिन् यो० २७. रा० ८१३ भवत्थ भवस्थ ६४४ से ४८,५२,५६ भाव [भाव] रा० ६३,६५,१३३,७७१,८१५. भवत्थकेवलणाण भवस्थकेवलज्ञान ] रा० ७४५ जी० ३।३०३,७२६ भवधारणिज्ज [भवधारणीय] जी० ११६४,६६, भावओ [भावतस् ] ओ०२८. जी० १३३,३४, १३५,१३६, ३.६१,६३,१०८७ से १०५६, १०६१,१०६२,११२१ से ११२३ भावविउस्सग्ग [भवात्सर्ग ] ओ० ४४ भवपच्चइय [भवप्रत्ययिक रा०७४३ भावाभिगवरय [भावाभिग्रहन रक] ओ० ३४ भवसिद्धिय भवसिद्धिक] रा० ६२. जी० ६।१०६ भावियप्प भावितात्मन् ] ओ० १६६ से १११,११२ भावेमाण भावयत् ] ओ०२१ से २४,२६,४५, भविता | भूत्वा] ओ० २३. रा०६८७ ५२,८२,१२०,१४०,१५७. रा० ८,६,६८६, भसोल [भसोल] रा० १०६,११६,२८१. ६८७.६८६,६६८,७११,७१३,७५२,७५३, जी० ३।४४७ ७८७,७८६,५१४,८१७ भाइल्लग [भागिक ] जी० ३१६१० भावोमोदरिया [भावावमोदनिका] औ० ३३ भाउय [ भ्रातृक] रा० ६७५ भास् [भाष्..भासइ. ओ० ५२. रा०६१ भाग [भाग] रा० ७८७,७८८. जी ० ३।५७७, --भाति. जी० ३१२१० ६३२,६३६,८३८1१६,१०१० से १०१४ भास (य) {भाक जी० ६६६ भागि [ भागिन् ] रा० ८१५ ।। भासंत भाषमाण ] ओ० ६४. जी० ३१५६१ भाजण |भाजन जी० ३.५८७ भासग [ भाषक] जी० ३१५६,५६,६१ भाणितब्ध भणितव्य ] जी० २१११२ ३१७४, भासमणपज्जत्ति | भापामनःपर्याप्ति ] रा०२७४, १२०.१२१,१४४,२२७,५७८,६३१.६५७,६४७ ७६७. जी० ३.४४० भाणियव्व भणितव्य ] रा०८०,१६४,२०१, भासय [भागका जी० ६।५७ २०४ से २०६,७४२. जी० ११५१,७२,९६ भासरासि धरमराशि] रा० १२४ ११८,१२३,१२६,१३५, २१७६,७८,८०,८१, भासा [भाषा | ओ० ७१. रा० ६१,८०६,८१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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