Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
संगोवंत-संठिति
संगोवंग [ साङ्गोपाङ्ग ] ओ०६७
संघ | सङ्घ] ओ० ४० रा० ३२,२०६२११ जो० ३७२
संघण [संहनन |
०८२,१८५०१११४,
१७,८६,६५१२८, १३५ ३६२, १२७/३, ५६८, १०६० संघयणिन् जी० १३६५, १०१,११६, १३०. ३६२,१०६०
संघरिसस | संघर्षमुत्थित] जी० ११७८ संघाच्च नृत्य ] ओ० ४१ संघाइम | सङ्घातिए | ओ० १०६,१३२,
रा० २८५ ० ३१४५१,५६१
संघाड [ बाद ] रा० १४१,१६२ जी० ३।२६४ २६६.३१८,३५५
संघाडग[स | श० १६०
संघात (तत्व) जी० ३।१०६०
संधाय [ङ्घात] ओ० ४७,७२. जी० ११७२।२,३ संघात [ ] जी० १११३५; ३३९२ संचय [य] ओ० ४६ जी० ३३५६८ √ संचाय [ सं + शक् ] -- संचाएइ. रा० ७५१ - संचाति रा० ७७४ संच एज्जा. डी० ३।११६ -संचाएति. रा० ७५३ जी० ३३११५- संचाएमि रा० ६६५ √ संचिट्ठ [ सं + ष्ठा ] संचिड. रा० ७०१
-पंचिति. रा० ३४ जी० ३.७२५ संचिणा [ संस्थान ] जी० ११४१ २१६२,८३, ८५,१५०, १५१ : ५१२६; ६.७ ७३६,८१३ १३,१६,३६,१५७,१६८, १८३,२६३
संछण्ण [ सञ्छन्न ] जी० ३ ११८,११६,२८६ संछन्न | सञ्छन्न | रा० १७४ संजताजत | संयतासंयत | जी० ९.१४४ संजम ०२१ से २४,४५,४६,५२,८२
० ८, ६, ६८६,६८७,६८६,७११,७१३,८१४, ८१७
संजमा संजम | संयमासंयम | जो० ७३
संजय [संगत! ० ४६ जी० ६ १४१,१४२,१४६
Jain Education International
१४७
संजया संजय [संयतासंयत | जी० ९११४१, १४६,
१४७
संजायको हल्ल [संजातकोतूहल | ओ० ८३ संजाय संसय ( सञ्जातसंशय | ओ० ८३ संजायसड्ड [ सञ्जातश्रद्ध ] ओ० ८३ संजुत [ संयुक्त ] रा० ७५३,७६५ जी० ३१५६२ संजोग [ संयंग] ओ० २८,४६
७४३
संझभराग [ वन्ध्याराग | रा० २० जी० ३२८० संज्ञा | सन्ध्या | जी०३३६२६ संज्ञाविराग | सन्ध्यादिराग] जी ३५८६
संठाण [ संस्थान ] ओ० ४७,५०,०२,८२, १७०, १८६,१४,१६५३, ४, ८ रा० १२४, १२७, १३२,१८५ जी० ११५, १४,७२, १२८,१३६; ३२२,४८ से ५०,७८, ८६, १२७१, ३, १२६/३, ४,२५७,२६०,२६१, २६७,३०२, ३५२,५७७, ५१८,६०४,६३२,६६१,६८,७०४, ७२३, ७२६,७३६,७९६,८१०,८२१,८३१,८३६,
८४१,८४२,८४५,८४८, ८५७,८५६,८६२, ८६५,८६८,८७१,८७४,८७७, ८५०, ८८२, ६११,६१८,६२५,१००८, १०७१, १०६१,
१०६२
ठाणओ | संस्थानतस् ] जी० ३१२५६ संठाणतो [ संस्थानतस् ] जी० ३।२२
विजय [संस्थानविचय ] ओ० ४३ संठित [ संस्थित] रा० १२४ जी० ३१२८ से ३२, ४८ से ५०, ७८ ७६,८६,६३,२६०,२६१,
२१७,३०२,३५२,५७७,५६७,६३२,६६१, ७०४,७०५, ७६३, ७६६,७६७, ८१०, ८११. ५२१, ८२२,८३१,८३६८४२,८४५, ८४८, ८४६,५७,८५६,८६२,८६५,८६८, ८७१, ८७४,८७७,८०८०२, १११, ६२५, १००८, १०६१,१०६२
संठिति [ संस्थिति ] जी० ३१८११
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412