Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 403
________________ ७६५ सुहमवाउकाइय-सूरिल्लिमंडवग ५६० सुहुमवाउकाइय सूक्ष्मवायुकायिक] जी० ५।२७, सूरवीव [सूरद्वीप] जी० ३।७६५,७६९,७७१,७७७ सूरद्दीव [ सूरद्वीप] जी० ३।६३७ सुहुमवाउक्काइय सूक्ष्मवायुकायिक] जी० १८० सूरपरिएस [ सूरपरिवेश] जो० ३।८४१ सुहमसंपरायचरित्तविणय | सूक्ष्मसम्परायचरित्र- सूरपरिवेस | सूरपरिवेश] जी० ३।६२६ विनय | ओ० ४० सूरप्पभा [ सूरप्रभा जी० ३।७६५,१०२६ सुहुमसरीर [ सूक्ष्भशरीर | जी० ३११२६६ सूरमंडल [ सुरमण्डल ] रा० २४. जी० ३१२७७, सुहय | सुहुत] भो० २७. रा. ८१३ महोत्तार [सुखोत्तार जी० ३।५९४ सूरमंडलपविभत्ति | सूरमण्डल प्रविभक्ति] रा० ६० सुहोदय {शुभोदक, सुखोदक | ओ० ६३ सूरवर्डसय [ सूरावतंसक ] जी० ३।१०२६ सुहोयार | सुखावतार | जी० ३१२८६ सूरवरोभास | सूरवरावभास] जी० ३।६३८ सूइभूत सूचीभूत ] जी० ३१४४३ सूरविमाण | मूरविमान] जी० २४१, ३३१००३ सूई । शुबी] रा० १६,१३०,१७५,१८०,१६७. से १००५,१००६,१०११,१०२६ जी० ३।२६४,२६६,२८७,३०० सुरागमणपविभत्ति [सूरागमनाविभक्ति] रा० ८७ सूईकलाव शूचीकलाप] जी० ११७७,७६ सूराभिमुह | स राभिमुख ] अं० ११६ सूईपुडंतर [शुचोपुटान्तर | रा० १६७. सूरावरणपविभत्ति | सुरावरणप्रविभक्ति रा.८८ जी० ३।२६६ सूरावलिपविभत्ति सूरावलिंप्रविभक्ति रा०८५. सूईफलय | शूचीफलक[ रा० १६७. जी. ३१२६६ सूरिय सूर्य ओ०१६२. रा० ४५,१२४. सूईभूय | शूचीभूत] रा २८८ जी० ३११७६,१७८,१८०,१८२,२५७,७०३, सूईमुख {शूचीमुख ] रा० १६७ ७२२,८०६,१२०,८३०, ३४,८३७,८४१,८४२. सूईमुह : शूचीमुख ] जी० ३३२६६ ८४५,६८८ से १०००,१०२०,१०३७,१०३८ सूचिकलाव [ शूचिकलाप] जी० ३८५ सरियकंत सूर्यकान्त ] रा०६७३,६७४,७६१ से ७६३ सूणगलंछणय [सूणालाञ्छणक | रा० ७६७ सूरियकता । सूर्यकान्ता] रा० ६७२,६७३,७५१, सूमाल (सुकुमार] रा० २८५. जी० ३१२७४,४५१ ____ ७७६,७६१ से ७६४,७६६ सूयगडघर [सूत्रकृतधर] ओ० ४५ सूरियाभ सूर्याभ] रा०७,९,१०.१२ से १८,४१ सूयपुरिस [सूपपुरुष] जी० ३।५६२,५९७ से ४४,४६ से ४६.५५ २४ ६५,६८,६६,७१ से सूर | सूर] ओ० १६,२२,२७,५०, रा० १३३, ७४,११८ से १२०,१२२,१२४ १२६,१२६, ७७७,७७८,७८८,८०३,८१३. जी. २०१८) १६२,१६३,१६,१७०,१८७,२३४०,२५,२६६ ३।२५८,३०३,५८६,५६३,५९६,७६५,७६७, २६८,२७०,२७४ से २६१,६५४ से ६६७, ७६६,७७१,७७३,७७५,७७७,७७६,८३८१४, ७९६ से ७६E १०,१५,२१,२३,२४,२७,२८,२६,३२,६३७, सुरियाभविमाणपइ । सूर्याभविमानपति] २१ ९५०,६५३,१०१६,१०२०,१०२१,१०२६, सूरियाभविमाणवासि | सूर्याविमा वासिन् ११२२ स० ७,१५ से १७,५५,५६,५८,२८०,२८२, सूरकतमणि [सूरकान्तमणि] जी० ११७८ २८६,२६१,६५७ सरणकद [शूरणकन्द] जी० ११७३ सूरिल्लिमंडवग [दे० सूरिल्लिमण्डपक] रा० १८४. सूरत्यमणपविभत्ति [सूरास्तमनविभक्ति] रा० ८६ जी० ३।२६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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