Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 402
________________ सुसिलिट-सुहमवणस्सतिकाइय ७६७ सुसिलिट्ट सुश्लिष्ट ओ० १६,६३,६४. रा० ३२, सुहिरण्ण [सुहिरण्य] रा०२८ ५२,५६,२३१,२४७. जी० ३।३७२,३६३,४०१, सुहिरण्णया सुहिरण्यका) जी० ३१२८१ सुहम सुक्ष्म] ओ० ४७,१७०,१८२. रा० १६०, सुसील [सुशील ] ओ० १६१,१६३ २५६. जी० ३६१३३,३३३,४१७,५६६ : सुसुइ सुश्रुति ] ओ०४६ ५१२१ से २३,२५ से २७,३४ से ३६,५१,५२, सुस्सर | सुस्वर] रा० १३५. जी० ३१३०५,५९७, ५७ से ६०; 818५,६६,६६,१०० ५१८ सुहुमआउ [सूक्ष्माप्] जी० ५।२५ सुस्सरधोस [सुस्वरघोष रा० १३५. जी० ३।३०५ सुहमआउकाइय सूक्ष्मा कायिक] जी० ५।२७,३४ सुस्सरणिग्घोस [सुस्वरनिर्धाप ) जी० ३३५६८ सुहमआउक्काइय [सूक्ष्माकायिक जी० ११६३,६४ सुस्सरा [सुस्वरा} रा० १४ सुहुमकाल [सूक्ष्मकाल] जी० ६६६ सुस्सषण [सुश्रवण | ओ० १६ सुहुमकिरिय सूक्ष्मक्रिय ] ओ० ४३ सुस्सूसणाविणय सुश्रूषणाविनय ] ओ० ४० सहमणिओद {सूक्ष्मनिगोद | जी० ५१३८,३६,४४ सुस्सूसमाण (शुश्रूषमाण] ओ० ४७,५२,६६,८३. से ४६,५२,६० रा० ६०,६८७,६६२,७१६ सुहमणिओदजीव [ सूक्ष्मनिगोदजीव जी० ५।५३, ५४,५६,६० सुह [सुख ] ओ० १,२३,२६,५२,१६५।१५,१६, सुहमणिओय [ सूक्ष्मनिगोद] जी० ५।२१,२२,२५, २२. रा० १५,२७५,२७६,६८३,६६७. २७,३४,३५ जी० ३११२६३६,४४१,४४२,५६४,६०४, सुखमणिगोद [सूक्ष्मनिगोद] जी० ५।४४ ५३८४१३ सुहमणिगोदजीव सूक्ष्मनिगोदजीव] जी० ५१६० सुह [शुभ ] ओ० ६ से ८,१०. जी० ३१२७५,२७६ सुहमणिगोय [ सूक्ष्मनिगोद] जी० ५१२६,३६ सुहंसुह सुखंसुख] ओ० १९. रा० ६८६,७११, सुहमतेउकाइय [ सूक्ष्मतेजस्कायिक जी० ५।२५, ८०४. जी. ३१६१७ २७,३६ सुहफास [सुखस्पर्श, शुभस्पर्श ] रा० १७,१८,२०, सुहुमतेउक्काइय [सूक्ष्मतेजस्कायिक] जी० ११७६, ३२,१२६,१३०,१३७. जी० ३:२८८,३००, ७७; ५१३४ ३०७,३७२ सुहमनिओग [सूक्ष्मनिगोद] जी० ५।२४ सुहम्मा [सुधर्मा] रा० ७,१२ से १४,२०६,२१०, सुहमनिओय [ सूक्ष्म निगोद] जी० ५॥३४,३५ २३५ से २३७,२५०,२५१,२७६,३५१,३५६, सुहमनिगोद { सूक्ष्मनिगोद] जी० ५।३४ ३५७,३७६,३६४,३६५,६५७,७६५,७६४, सुहमपुढविकाइय [सूक्ष्मपृथ्वीकायिक] जी० ११३६ ८०२. जी. ३।३६७,३९८,४११,४१२,५१६, १४,५६; ३।१३२,१३३, ५५२,३,२४,२५, ५२१ से ५२५,५५६,५५७ सुहलेसा [शुभलेश्या] जी० ३।६३८१२६ सुहमपुढवी [सूक्ष्मपृथ्वी] जी० ॥२७ सुहलेस्सा [शुभलेश्या] जी० ३१८४५ सुहुमवणस्सइकाइय [सूक्ष्मवनस्पतिकायिक] सुहविहार [सुखविहार जी० ३।५६४ जी० ११६६,६७; श२७,३४,३६ सुहासण | सुखासन] रा०७६५,७६४,८०२ सुहमवणस्सति [ सूक्ष्मवनस्पति ] जी० ५५२४ सुहि । सुखिन् ] ओ० १६१६,२२ । सुहमवणस्सतिकाइय [सूक्ष्मवनस्पतिकायिक सुहिय [सुहृद् ] जी० ३१६१३ जी० ५२२५,२७,३६ २७,३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412