Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 386
________________ समय-समुग्घाय १९६,२००,२०३,२३२ से २३८, २४१ से २४८, २५० से २५३,२५५, २६७ से २७३, २७५ से २८२,२८४ से २६३ समय समक] जी० ३१२७३,२६८ समयओ [समयतस् ] रा० ६६४ समयखेत्त [समयक्षेत्र रा० २७६. जी. ३१४४५ समयग समयक] जी०७४ समयतो [समयतस ] जी० ३।५६२ समयस समयशस् ] जी० ३.११२० समयिक | सामयिक जी० ६।२ से ५ समयिग [सामयिक ! जी० ६६ समरस समरस] रा० २२८. जी० ३१३८७ समरसोद [समरसोद | जी० ३२८६ सिमलकर [सं-- अलं-/- कृ]-समलंकरेइ. - ओ० ५६ समलंकरेत्ता [समलङ्कृत्य] ओ० ५६ समल्लीण [समालीन] ओ०१३. रा०४ समवायघर [समवायधर] ओ० ४५ समसोक्ख समसौख्य ] जी० ३.११२० समहिदिन्जमाण [समधिष्ठीयमान ] रा० ७५१ । समाइण्ण समाकोणे ] अ० ७१. रा०६१ समाउत्त [समायुक्त ] ओ० ६४. रा० ५१ समाउल सिमाकूल] रा०१३६. जी० ३१३०६ समाण सत] ओ०२०,५२,५६,६३,६४,९८, ११७,१४२,१४४,१५७. रा० १०,१२ से १५, १८,४६,६०,६३,६४.७२,७४,२७४,२७५, २७६,२८३,२८६,६५५,६८१,६८५,७००, ७०१,७०३,७०७,७१०,७१३,७२५,७२८, ७५७.७६५,७७४,७६२,७६७,८००,८०२. जी० ३३११८,११६,४४०,४४१,४४५,४४६, ४५२,५५५,६१७,६८६ समाण समाना ओ० २३,२६,२६,११७. रा० १३१,१३२,१४७ से १५१,१९७.२८८, ७५० से ७५३,७६६, जी० २।७४,६८,१४०%; ३।१११,११८.११९,२६६,३०१,३०२,३२१ से ३२४,४५४ समाणुभाग [ समानुभाग] जी० ३।११२० समादाण [समादान] जी० ३३११७ समामेव [समकमेव] रा० ७५ सिमायर [समा+चर]- समायरह. रा० ७५१ समायरित्ता [समाचर्य ] रा० ६६७ समायरेता समाचर्य रा० ७५१ समारंभ [समारम्भ ] ओ०६१ से १३,१६१,१६३ समावडिय सिमापतित | ओ०४६ समावण्णग समापनक] जी० ३१८४२,८४५ समास [समास] जी० ३१८३८।१ समासओ समासतस् ] जी० ११५,५८,६५,७३, ८४,८८,८६,६२,१००,१०३,१११,११२,११६, ११८,१२१,१२६,१३५ समासतो समासतस् ] जी० ११७८,८१; ३।२२६ समाहय (समाहत] ओ० ४६. रा० १२,७५८, ७५६. जी० ३११८ समाहि [समाधि] ओ० ११७,१४०,१५७,१६२. रा०७६६ समिडीय समधिक जी० ३।११२० समिता [समिता] जी० ३६२३५.१०४०,१०४४, १०४६ समिद्ध [समृद्ध] ओ० १,१४. रा० १,६६८ से ६७१,६७६,६७७ समिया [समिता] जी० ३।२३६,२४१ समग्ग [ममुद्ग] ओ० ७४१५. रा० १६१,२५८, २७६,३५१. जी० ३१३३४,४१६,४४५,५९६ समुन्गक [समुद्गक ] जी० ३।४०२,५१६ समुरंगग समुद्गक ] जी० ३१३०० समग्गपक्खि [समुद्गपक्षिन् ] जी० १।११३,११६ समग्गय सिमुद्गक ] ओ० १७०. रा० १३०,२४० २७६,३५१. जी० ३।४०२,४४२,५१६,१०२५ समुग्धात [समुद्घात ] जी० ३.१०८,१५७,१११८ समग्घाय [समुद्घात] ओ० १७१,१७२,१७५, १७७. जी० १११४,२३,८२,८६,६६,१०१, ११९,१३३,१३६, ३११२७१४,१६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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