Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 354
________________ रयणावलि-राइंदिय २६८,२६६, २६६, २६१ से २६६,३०१,३०४, ३१०, ३१२,३१८, ३१६,३२४, ३२५, ३२८ से ३३०, ३३३,३३४, ३४७, ३४८, ३८१, ४१४, ४१८,४३७,६७५,७५०, ७५३,८६३,८६६, ६०७,६१८, १०३८, १०३६, १०८१ रयणावलि [ रत्नावलि ] ओ० १०५,१३१. रा० २८५. जी० ३,४५.१ रणावलिपविभत्ति [ रत्नावलिप्रविभक्ति ] रा० ८५ रयण | रत्ति ] ओ० १६५/६ रणिकर [ रजनिकर ] जी० ३।५६७ रणियर | रजनिकर | ओ० १५. रा० ६७२. जो० ३१८३८।१२,१३ रयणी [ रजनी ] ओ० २२. १० ७२३,७७७,७७८ ७८८ रयणी | रत्नी | ओ० १८७, १६५३७. जी ० १ १३५; ३ ६ १,७८८,१०५७ से १०८६ रयत [ रजत ] जी० ३१७,३००,३३३,४१७ रयताण [ रजस्त्राण] १० ३७,२४५. जी० ३।३११,४०७ रयय [ रजत ] ओ० १४, १४१. रा० १०, १२, १८, ६५,१३०, १६०,१६५, १७४,२२८,२५५, २५६,२७६,६७१,७६९. जी० ३।२८६,३००, ३८७,४१६, ६७२,६७६,७४७ श्यय [पाय ] [ रजतपात्र ] ओ० १०५,१२८ [वंधण ] [ रजतबन्धन ] ओ० १०६,१२६ श्यामय [ रजतमय ] रा० ३७,१३०,१३२,१३५, १५३,१७४,१६०, २३६,२४०,२४५,२८८, २६१. जी० ३।२६४, २८६, ३००, ३०२, ३०५, ३११,३२४, ३२६,३६८, ४०२, ४०७, ४५४, ४५७,६३९ रत्लग [ रल्लक | जी० ३।५६५ रव [ख] ओ० ४६,५२,६७,६८. रा० ७,१३, १५, ५५,५६,५८,२८०, २६१,६५७,६८७, ६८० जी० ३३३५०, ४४६, ४५७, ५५७, ५६३, ८४२,८४५, १०२५ [ वत्] मो० ४६ Jain Education International रवभूय [ रवभूत] ओ० ५२.० ६८७,६८८ रवि [ रवि ] ओ० १६. जी० ३।५६६,५६७,८०६, ८३८१३ रस [ रस ] ओ० १५,१६१,१६३,१६६,१७०. रा० १७३, १६६,६७२.६८५, ७१०, ७५१, ७७४. जी० १५,३८, ५८,७३,७८.८१; ३३५८,८७,२७१, २८५, २६६, ३८७,५८६, ५६२, ६०१,६०२, ७२४, ७२७,८६०,६६६, ८७२, ८७८, १७२, १८०,६८२,१०८१,१११८, ११२४ रसओ [रतस् ] जी० ११५० रसतो [ रसतस् ] जी० ३।२२ रसपरिच्चा [ रसपरित्याग ] ओ० ३१,३५ रसमंत [ रसवत् ] जी० १।३३ रसविगह [ रसविकृति ] ओ० ६३ रसिय [रसित ] रा० १३,१४ रसोदय [ रसोदक ] जी० ११६५ रह [ रथ ] ओ० १,७,८,१०,५२, ५५ से ५७,६२, ६४ से ६६, १००, १२३, १७०. २०१५१, १७३,६८३,६८५,६८७ से ६८६,६६२,७०८, ७१०,७१६,७२७ से ७२६,७३१,७३२. जी० ३१२६०, २७६, २८५, ३२३, ५८१, ५८५, ५६७,६१७ रघणघणाइय [ रथघनघनाति ] रा० २८१. जी० ३/४४७ रह जोहि [ रथयोधिन् ] ओ० १४८, १४९. रा० ८०६,८१० ७१६ रहवाय [ रथवात ] रा० ७२८ रहस्त [ रहस्य ] ओ० ६७. रा० ६७५,७६३ रहित [ रहित ] जी० ३।११२१ से ११२३ रहिय [ रहित ] ओ० १. जी० ३१५६७ रहोकम्म [ रहःकर्मन् ] रा० ८ १५ राइ [ राजि] ओ० १६. रा० ७५४ से ७५७. जी० ३८५६७ इंदिय | त्रिदिव] मो० २४,१४३. १० ८०१. जी० ११७६,८८ ३६३०, ४०४, १३ : ५१६, १३, २८,२६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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