Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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विदेहजंबू-वियाणय
विदेहजंबू [विदेहजम्बू ] जी० ३१६६६ विधाण [विधान ] जी० ३१२५६ विधि [विधि ] जी० ३६१६०,२५६,४४७,५८७ से
५८६,५६५,६३४ विपंची [विपञ्ची] रा० ७७. जी० ३१५८८ विपक्क विपक्व | जी० ३।५६२ विपरिणामाणुप्पेहा [विपरिणामानुप्रेक्षा] ओ०४३ विपुल [ विपुल ] रा०६८६,७६५. जी० ३१४४४,
४४५,४४७,४५६,५६६ विप्पइट्ट [विप्रकृष्ट] जी० ३।५६१ विघ्पओग [विप्रयोग] ओ० ४३ विप्पजहणा विप्रहाणि | ओ०१८२ विप्पजहिता | विप्रहाय] ओ० १८२ विप्पमुक्क [विप्रमुक्त ] ओ० १४,२५,२७,३६,
१७२,१६५८. रा० १२,१७३,२६१,२६३ से २६६,३००,३०५,३१२,३५५,६७१,६८६,
८१३. जी. ३२२८५,४५७ विप्परिणामइत्ता [विपरिणमय्य | जी० ११५० विप्पोसहिपत [विघुडौषधिप्राप्त ] ओ० २४ विस्फालिय [ विस्फारित ] जी० ३१५९६ विफलीकरण [विफलीकरण] ओ० ३७ विभम [विभ्रम] जी० ३६५६४ विभंगणाणि [विभङ्गज्ञानिन् ] जी० १।६६;
३।१०४,११०७, ६३१६७,२०३,२०७,२०८ विभत्त | विभक्त | जी० ३१५६७ विभयमाण [विभजमान] जी० ३८३१ विभति | विभक्ति] जी० ३।५६४ विभाग [विभाग] जी० ३।५६१ विभासा [विभाषा] जी० ३।२२७ विभूइ [विभूति ] ओ० ६७. रा० १३,६५७ विभूति [विभूति ] जी० ३१४४६ विभूसण [विभूषण] ओ० ४६ विभूसा | विभूषा] ओ० ३६,६७. रा० १३,
६५७. जी० ३।४४६,११२१ से ११२३ विभूसित । विभूषित] जी० ३।४५१
विभूसिय [विभूषित | अ०६३,७०. रा० २८५,
२८६,८०५. जी० ३।४५२ विमउल [विमुकुल | ओ०१ । विमउलिय [विमुकुलित जी० ३।५६० विमल | विमल आ० १५,१६,४६,४३,५१,६३,
६४,१६४. रा० ३२,५१,६६,७०,१३०,१५६, १७४,८८,२९२,६६४,६७२,६८३. जी० ३३११८,११६,२८६ ३००,३३२,३७२,
४५४,४५७,५६२,५८६,५६६,५६७८६६ विमलप्पभ विमलप्रभ जी. ३१८६६ विमाण | विमान ] ० ५१. रा० ७,१२ से १४,
१२४ से १२६,१२६,१६२,१६३,१६९.१७०, २७४,२७६,२७६,२८१,२८२,६५४,६५५, ७६६, जी० ३११७५ से १८२,२५७,८४२. ८४५,१०२४ से १०२६,१०३८,१०३६, १०४३,१०४८,१०५६ से १०५९,१०६५, १०६७,१०७१,१०७३,१०७५ से १०५१,
१०६७,११११ विमाणावास [विमानावास रा० १२४.
जी० ३.२५७,१०३८,१०३६,११२८ विमुक्क [विमुक्त ] ओ० १६५।६,१८,२१.
जी० ३१४५७ से ४६२,४६५,४७०,४७७,
५१६,५२०,५५४,५६७ विम्हावण [विस्मापन] ओ० ११६ वियट्टछउम [ विवृत्तछद्मन् ] ओ० १९,२१,५४,
रा०८ वियड |विकट ] औ० १६. जी. ३१५६६,५६७ वियडावति | विकटापातिन् ] जी० ३७९५ वियडावाति | विकटापातिन् । रा० २७६.
जी० ३।४४५ वियसंत | विकसत् | ओ० ४६ वियसिय | विकसित ओ०५१,४७,५४.
रा० १३७. जी० ३१३०७ वियाणंत [विजानत् ] ओ० १६०१६ वियाणय [विज्ञायक | रा०५०४
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