Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 321
________________ पासायव.सग-पियंगु पासायवडेंसग [प्रसादावतंसक रा० १३७,१८६, पिच्छज्य [पिच्छध्वज रा० १६२. जी० ३१३३५ २०५,२०७,२०८,७७५. जी० ३।३०७ से ३०६, पिच्छणघरग प्रेक्षणगृहक ] रा० १८२,१८३ ३१४,३५५,३५६,३६४,३६७,३६६ से ३७३, पिच्छाघरमंडव [प्रेक्षागहमण्डप] रा० ३२,३३,६६ ६३४,६३६,६८६,६८६,६६२ से ६६८,७६२ पिट्टण [ पिट्टन ] ओ० १६१,१६३ पासायव.सत [प्रासादावतंसक] रा० २०४ । पिट्ठओ [पृष्ठतस् ] ओ० ६६. जी० ३,४१६ पासायव.सय [प्रासादावतंसक ) २० २०४ से पिठंतर [पृष्ठान्तर] रा० १२,७५८,७५६ जी० २०६. जी० ३१३५६,३६४,३६८ से ३७१, ___३३११८,५६८ ६६३,६७३,६८५,६८८,७३७ पिट्ठतो पृष्ठतस् ] रा० २५५,२८६,२६०. जी. पासावच्चिज्ज पाश्र्वापत्य ] रा०६८६,६८७, ३.४५५,४५६ ६८९,७०६,७१३,७३३ पिट्ठपयणग [पिष्टपचनक] जी० ३१७८ पासि पार्श्व] ओ० ६६. जी० ३।३०१ से ३०७, पिढिकरंडग [पृष्ठिकरण्डक] जी० ३१२१८,५६८ ३१५,३५१,४१७,६३६,७८८ से ७६०,८३६, पिडा [पिटक जी० ३१८३८४ से ६ ८८६ पिडय [पिटक ] जी० ३१८३८१३,५,६ पासित्तए [द्रष्टुम् ] रा० ७६५ पिणद्ध पिनद्ध] ओ०१७,६३. रा०६६,७०, पासित्ता [दृष्ट्वा ] ओ० ५२. रा० ८. जी० १३३,६६४,६८३. जी० ३१३०३,५६२ ३.११८ पिणद्वय [पिनद्धक] रा० ७६१ पासेत्ता [दृष्ट्वा] रा०६८८ पिणय [पोनक जी० ३।५८७ पाहुड प्राभूत ] रा०६८०,६८१,६८३,६८४, पिणिद्ध [पि-नहपि+-नि-+धा-पिणिद्वेइ. ६६६,७००,७०२,७०८,७०६ ० २८५. जी० ३.४५१.--.पिणि देति. रा० २८५. जी० ३१४५१ पाहणगभत्त प्राधुणकभक्त) ओ० १३४ पाहणिज्ज | प्राहवनीय ओ० २ पिणिद्धत्तए [पिनद्धम् ] ओ० १०८ पिणित्तिा [पिनह्य] रा० २८५. जी० ३।४५१ पि अपि] रा०१० पिअदंसण [प्रियदर्शन ] ओ० ६३ पितिपिंडनिवेदण [पितृपिण्डनिवेदन ] जी० ३।६१४ पित्तजर (पित्तज्यर] रा० ७६५ पिउ | पितृ ओ०१४. रा० ६७१,७७३ पिंगल | पिङ्गल] ओ०६३ पित्तिय [पैत्तिक | ओ० ११७. रा० ७६६ पिंगलक्ख [पिङ्गलाक्ष] जी० ३१२७५ पिधाण [पिधान | रा० १३१,१४७,१४८. जी. ३१४४६ पिंगलक्सग [ पिङ्गलाक्षक ओ०६ पिबित्तए पातुम् ] ओ० १११ पिछि | मिच्छिन् ] ओ० ६४ पिय प्रिय] ओ० १५,२०,५३,६८,११७.१४३. पिंजर [पिञ्जर जी० ३१८७८ रा० ७१३,७५० से ७५३,७७४,७६६. जी. पिंडहलिदा पिण्डहरिद्रा] जो० ११७३ १३१३५ ३३१०६०,१०६६ पिंडि [पिण्डि] ओ० ५,८,१०. ० १४५. जी. पिय पित] ओ०७१. रा० ६७१. जी० ३१६११ ३।२६८,२७४ इपिय | पा—पिज्जइ. रा० ७८४---पियइ. रा० पिडिम पिण्डिम | ओ० ७,८,१०. जी० ३।२७६ ७३२ पिडियग्गसिरय (पिण्डिताग्रशिरस्क] ओ० १६ पियंग प्रियङ्ग] ओ० ६,१०. जी. ३१३८८, पिडियसिर पिण्डितशिरम् ] जी० ३१५९६ ५८३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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