Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 243
________________ ६०८ खुड्डालञ्जर [दे० क्षुद्रकालिञ्जर] जी० ३।७२६ खुड्डिय [ क्षुद्रिक ] जी० ३१५६३ खुड्डिया [क्षुद्रिका ] ओ० २४. रा० १७४, १७५, १८०,७७२. जी० ३।१२४,१२५,२८६,२८७, २१२,५७६,६३७,७३८,७४३, ७६३,८५७,८६३, ८६६,८७५,८६१ खुत्त [ दे० ] ओ० ६० खुद्द | द्र ] रा० ६७१ √ खुम्भ [ क्षुभ् | खुभंति जी० ३१७२९ खुभियजल [ क्षुभितजल | जी० ३१७८३,७८४ खुरपत [क्षुरपत्र ] जो० ३८५ खुहा [ क्षुधा ] ओ० ११७. रा० ७६६. जी० ३१०६, ११८, ११६, १२५, १११४ खेड [ खेट ] ओ०६८,८६ से १३, १५, १६, १५५, १८ से १६१,१६३,१६८. रा० ६६७ खेत [ क्षेत्र ] ओ० २८, ११२. जी० ११५० २१२६ से २९,५४ से ५६,६५,८४,८८,११४,१२३, १३२ : ३।१०७, ७४१,७६१, ८३८१२५, ११११ खेत्तओ [ क्षेत्रतस् ] ओ० २८. जी० ११३३,१३६, १४० २।१२० ५१८, ६, २३.२६; ६/२३, ४०,६७,२५७ खेत [ क्षेत्रछेद ] जी० ३०४६,४७ खेतच्छेय [ क्षेत्रछेद ] जी० ३।२१ से २७,४५ खेत्ताभिग्गहचरय | क्षेत्राभिग्रहचरक] ओ० ३४ खेम [ क्षेम | ओ० १,१४. ० ६७१ खेमंकर [ क्षेमङ्कर ] ओ० १४. रा० ६७१ खेमंघर [क्षेमधर] ओ० १४. रा० ६७१ • खेय [खेद ] ओ० ६३ खेलूड | दे० ] जी० ११७३ खेलोसपित्त | वेषविप्राप्त | ओ० २४ खोखुब्भमाण | चोक्षुभ्यमान ] ओ० ४६ खोत [ क्षोद | जी० ३।६६२ खोतरस [ क्षोदरस ] जी० ३१६६४ खोतोव | क्षोदोद | जी० ३१६६१ खोतोदगा [दोदक ] जी० ३३९४८ Jain Education International खोतोदय [ क्षोदोदक ] जी० ११६५ खोद [ क्षोद] जी ३।९३१,६४६ खोदरस [ क्षोदरस | जी० ३१८७८ खोदवर | क्षोदवर ] जी० ३२८७४,८७५,८७७, ९२७ खोदोब | क्षोदोद | जी० ३१८७७,८७८८८०,६२५, ६२८,६३२ खोदोदग [ क्षोदोदक ] जी० ३१८७५८८१,६१० खोदोय | क्षोदोद | जी० ३१२८६ खोदोयग [ क्षोदोदक ] रा० १७४ खोमिय | क्षोमित ] रा० १७३. जी० ३३२८५ खोम | क्षोम ] रा० ३७,२४५ जी० ३।३११ ४०७, ५६५ खुड्डा डिहा खोय [ क्षोद] जी० ३१७७५ खोयरस [ क्षोदरस ] जी० ३।५८६ ग ग | ग] रा० ६५ गइ [ गति ] ओ० १६,२१,२७,४६,५०,५४,८६ से ६५, ११४,११७, १५५, १५७ से १६०, १६२,१६७,१७२. रा० ७५५,७५७,८१३ जी० १११४; ३८३८२२ इय | गतिक ] जी० ११६४,७४,७७,८७,८८, ६,१०१ गइरइय | गतिरतिक ] ओ० ५० गंगा [ गङ्गा ] ओ० ११५, ११७. रा० २४५, २७६. जी० ३१४०७, ४८५,६३७ inter [ गङ्गाकूलक] ओ० ६४ गट्टिया [गङ्गामृत्तिका ] ओ० ११०,१३३ गंगावत [ गङ्गावर्तक ] ओ० १६ गंगावत [ गङ्गावर्तक ] जी० ३३५६६,५६७ ठि [ ग्रन्थि ] ओ०] १. रा० २७० जी० ३।४३५, ८७८,६६३,६६७ For Private & Personal Use Only गंड [ गण्ड ] ओ० ४७, ६४, ७२ गंडमणिया | गण्डमानिका ] रा० ७७२ गंडा | गण्डलेखा ] ओ० १५. रा० ६७२. जी० ३१५६७ www.jainelibrary.org

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