Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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६८२
√ पवोणी [ प्र + वि + नी ] - पवीणेइ ओ० ५६ पवीणेत्ता [ प्रविणीय] ओ० ५६
√ पयुच्च [ प्र + वच् ] पबुच्चति जी० ३१८४१ पवेस | प्रवेश ] ओ० १५४,१६२,१६५, १६६. रा०
१२६,२१०, २१२,६८,७५२,७८६,८१६. जी० ३।३००, ३५४,३७७.५६४,६४३,८८५ पवइत्तए [ प्रव्रजितुम् ] ओ० १२० रा० ६६५ पवइय | प्रव्रजित ] ओं० २३,७६,७८, १५, १५५,
१५६
पग [पग] जी० १/६६ पश्वत [ पर्वत ] रा० २७६. जी० ३३४४५,६३२, ६३७,६६१,६६२,६६४,६६६, ६६८,७३५, से ७४३,७४५,७४६,७५०, ७९५, ८३१, ८३३,८३६ से ६४२, ८४५, ८६६, ८८२,६१० से ६१२,६१४ से ६१६,६१८ से ६२३
पव्वत [ पर्वतक ] जी० ३१८६३,८७,८८१,९२७ पव्वतय [ पर्वतक ] जी० ३१८६३
√ पश्वय [ प्र + ब्रज् ! - पव्वइस्सति रा० ८१२-पन्वइस्सामो. ओ० ५२. रा० ६८७. - पवइहिति. ओ० १५१ - पञ्चयंति रा० ६६५.
roar | पर्यंत ] रा० ५६, १२४, २७६,७५५, ७५७. जी० ३१२१७,२१६ से २२१,२२७,३००, ५६८, ५७७,६३२,६३३,६३८, ६३६, ६६८,७०१, ७३६,७३८,७४०,७४२, ७४४, ७४५, ७४३, ७४६, ७५०,७५४,७६२,७६५, ७६६,७७५, ८८३,६३७ १००१, १०३६
roar [ पर्वतक ] जी० ३।५७६ यह [ पर्वतमह] जी० ३।६१५ पवराय | पर्वतराज ] जी० ३१८४२ पवहणा [ प्रव्यथना ] ओ० १५४, १६५,१६६ पया [ पर्वा ] जी० ३२५८
पसंग [ प्रसङ्ग ] धो० ४६
पसंत [ प्रशान्त ] ओ० १४. रा० ६, १२, १५, २८१, ६७१. जी० ३/४४७
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पवीणी-पहरण
पसण्णा [ प्रसन्ना ] जी० ३।८६० पसत [प्रसक्त रा० १५
पसत्य [ प्रशस्त ] ओ० १५.१६,४६,५२, ११६,१५६. रा० ३३,१३३६७२. जी० १ १ ३/३०३, ३७२,५६६ से ५६८ सत्कार्याविणय [प्रशस्तकार्याविनय | ० ४० सत्यम वय | प्रशस्तमनोविनय ] ओ० ४० पत्थवsविषय | प्रशस्तवाग्विनय ] ओ० ४० सत्य [ प्रशास्तु ] ओ० २३. ० ६८७,६८८ पसम्ना [ प्रसन्ना ] जी० ३।५८६
V पसर [ प्र + सृ] - पसरति रा० ७५ परिय [ प्रसृत ] ओ० ४६. जी० ३५८६
पसव [ प्रभू ] - पसवति जी० ३।६३० पसवित्ता [ प्रसूय ] जी० ३१६३०
पसाधण [ प्रसाधन ] रा० १५२. जी० ३१३२५ पसाधणधरण [ प्रसाधन गृहक] १० १०२, १८३ / पसार [ + - सारय् ] -- पसारेति. रा० ६६ पसासेमाण [ प्रशासयत् ] ओ० १४. रा० ६७१,६७६ पसाहणधर [ प्रसाधनगृहक] जी० ३।२६४ पसाहा [ प्रशाखा ] ओ० ५,८. २१० २२८. जी० ३।२७४, ३८७,६७२
सिढिल [ प्रशिथिल ] ओ० ५१ पसिण [प्रश्न ] ओ० २६. रा० १६,७१६ पसु [ पशु ] ओ० ३७. २० ६७१,७०३, ७१८. जी० ३१७२१
सेढि [ श्रेणि] रा० २४. जी० ३।२७७ परसा [पश्या ] रा० ८१७ परसवणी [ प्रलवणी] रा० ८१७
पह [पथ ] ओ० ५२, ५५. रा० ६५४,६५५,६८७, ७१२. जी० ३।५५४, ८३८/१५
पहकर [ दे० ] ओ० १६. रा० ६८३. जी० ३।२७५ पहगर [ दे० | रा० ५३
पह | प्रहृष्ट ] ओ० १६. जी० ३१५६६ पहरण [प्रहरण] ओ० ५७,६४. रा० १७३,६६४, ६८१,६८३. जी० ३१२८५,५६२
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