Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
कोट्टण-कोह
६०५
कोट्टण [कुट्टन ओ० १६१,१६३ कोट्टिज्जमाण [कुट्टयमान] रा० ३० कोट्टिमतल ( कुट्टिमतल ] रा० १३०,१७३,८०४. ___जी० ३१२८५,३०० कोट्टिय [कुट्टयित्वा] जी० ३।११८,११६ कोट्टेज्जमाण [ कुट्टयमान ] जी० ३१२८३ कोट्ट [कोष्ठ ] रा० ३०,१६१,२५८,२७६.
जी० ३१२३४,२८३,४१६,६३७,१०७८ कोटग कोष्ठक] रा० ७११. जो० ३५९४ कोट्ठबुद्धि कोष्ठबुद्धि] ओ० २४ कोट्ठय कोष्ठक ] रा० ६७८,६८६,६८७,६८६,
६९२,७००,७०६ कोटापार [कोष्ठागार] ओ० १४,२३.
रा० ६७१,६६५,७८७,७८८,७६०,७६१ कोद्वार [कोष्ठागार] रा०६७४ कोडकोडी [कोट कोटी] जी०.३१७०३,७२२,८०६,
८२०,८३०,८३४,८३७,८३८१३१,८५५,
१००० कोडाकोडिकोटाकोटि ओ० १६२. रा० १२४ कोडाकोडी | कोटाकोटी] जी० २०७३,६७,१३६;
३७०३,८०६,१०३८; १२६ कोडि | कोटि] ओ० १,१६२. रा० १२४ कोडिकोडी | कोटिकोटी] जी० ३.१००० कोडी | कोटी रा०६६४. जी. ३२३२,५६२,
५७७,६५८,८२३,८३२,८३५,८३९,१०३८ कोडीय | कोटीक) रा० २३६. जी. ३१४०१ कोडुंब [कौटुम्ब] जी० ३।२३६ कोडुबि [कौटुम्बिन् | जी० ३११२६ कोडुंबिय | कौटुम्विक] ओ० १,१८,५२,६३.
रा० ६८१ से ६-३,६८७.६८८,६६०,६६१, ७०४,७०६,७१४ से ७१६,७५४,७५६,७६२,
७६४. जी० ३१६०६ कोण [दे कोण] रा० १७३. जी० ३१२८५ कोणिय ] कोणिक | आं० १५,१६,१८,२०,६२ कोत्तिय |कोत्रिक] ओ०६४ कोद्दालक [कुद्दालक] जी० ३१५८२
कोमल कोमल] ओ० ५,८,१६,२२,६३
रा० ७२३,७७७,७७८,७८८. जी० ३१२७४,
५६६,५६७ कोमुई [ कौमुदी] ओ० १५. रा० ६७२.
जी० ३१५६७ कोयासिय [विकसित'] ओ० १६ कोरंट [कोरण्ट] ओ० ६३,६४. रा० ५१,२५५. कोरंटक [कोरण्टक] रा० २८. जी० ३१२८१ कोरंटयगुम्म [कोरण्टकगुल्म] जी० ३१५८० कोरक [कोरक] जी० ३१२१५ कोरब्ब [कौरव्य ] ओ० २३. रा०६८८
जी० ३.११७ कोरवपरिसा [कौरव्यपरिषद् ] रा०६१ कोरिल्लय [३०] रा० ७५६ कोरेंट [कोरण्ट] ओ० ६५. रा०६८३,६६२,
७००,७१६. जी० ३१४१६ कालसुणग [कोलशुनक] जी० ३१६२० कोलाहल [कोलाहल] ओ० ४६ कोव कोप] जी० ३११२८ कोस [क्रोश] १४,२३,१७०. रा० १८८,२०७,
२०८,२३१,२४७,६७१,६७४,६६५,७६०, ७९१. जी० ३१४३,४४,८२,२६०,३५२ से ३५५,३५६,३६१,३६४ ३६८,३६६,३७२,३७४, ३६३३९५,४०१,४०२,४१२,४२५,६३४, ६४२,६४४,६४६,६५३,६५५,६६३,६६८, ६७३,६७४,६७६,६८३,६८५,६६१,७१४, ७३६,७५४,७५६,७६२,७६८ से ७७०,७७२,
८०२,८१५,८३६,१०१२ से १०१४ कोसंबकोशाम्र] जी. १९७१ कोसंबपल्लवपविभत्ति [कोशाम्रपल्लवप्रविभक्ति]
रा० १०० कोसेज्ज [कोशेय] ओ० १३. जी० ३।५६५ कोह {क्रोध] ओ० २८,३७,४४,७१,६१,११७,
११६,१६१,१६३,१६८. रा० ७६६. जी० ३।१२८,५९८,७६५,८४१
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412