Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari View full book textPage 5
________________ मूत्र अनुत्तरोपपातिक शास्त्र की प्रस्तावना. सद्गुरुणेनमस्कृत्य,भव्यजन सुखबोधवे ॥ अनुत्तरोपपातिकसूत्रस्य,बार्तिकलिख्यतेमया ॥१॥ __मूत्रज्ञान के दाता सद्गुरु महाराज को सविनय वंदना नमस्कार करके इस अनुसरोपपातिक शास्त्रार्थ का भव्यजनों को सुख से बोध होने के लिये हिन्दी भाषानुवाद करता हूं ॥ १०॥ HE अष्टांग अंतगड दशा सूत्र में सर्वांश कर्मोंका क्षय करके जिन जीवोंने मोक्ष प्राप्त की उनका कथन किया. Fऔर जो जीवों कर्म क्षय का उद्यम करते सर्व कर्माश क्षय हो इतने आयुष्य के अभाव से तथा शुभ 'कर्मों ( पुण्य ) की वृद्धि होने से जो जीवों उस भव में मोक्ष प्राप्त नहीं करसके, परंतु एक भवान्तर से मोक्ष प्राप्त करेंगे. उन बृद्धि हुवे पुण्य फल को भोगवने के लिये २६ ही स्वर्ग के ८४९७९०२३, विमानों में से अत्युत्तम सौंपरी जो पांच अनुत्तर विमान हैं जहां जघन्य ३१ सागरोपप उत्कृष्ट ३३ सागरोपमका आयुष्य है वे एकान्त सम्यक दृष्टी जीवों हैं वहां जाकर जो पुण्यात्मामहापुरुषोंउत्पन्नहुवेहँ वे. 20 श्लोक-गुणैयदध्ययन कलापीर्तिता, अनुत्तरा प्रशामिणु जालिमुख्यकाः ।। अनुत्तरश्रियम भजअनुत्तरोपपातिकोपपदशाः श्रयामिताः ॥१॥ अर्थात्-जाली आदि २३ श्रेणिक राजा के पुत्रों और धन्नादि १० श्रेष्ट पुत्रों, यो २३ जीवों जो विषयानुक्रमाणिका 4838 www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only Jain Education InternationalPage Navigation
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