Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
सैसा महादुम्म सेणं माइये पंच मन्वट्ठ सिद्धि ॥२॥ एवं खलु जंबू ! समणणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोवबाइय साणं दोच्चस्सवग्गस्त अयमढे पपणसे, दोसुवि वग्गेसु तिबमि ॥ बीओ वग्गो सम्मत्तो ॥ २ ॥ राजा पिता, धारणी राणी माता, तेरीहीन सोलह वर्ष संयम पाला, सत्र के एक महीने की सलेपना नानना. अनुकम से, विजय विमान दो, वेजयंत में दो, अपराजिन में दो और शेष महासेन आदि पांच सर्वार्थ सिद्ध विमान में उत्पन्न हुवे सब महाबिदेह में मोक्ष जावेंगे ॥११॥ यों निश्चय, है जम्बू ! श्रमण पावत् मुक्ति
पधारे उनीने अनुत्तरोपपातिक दशा के दसरे वर्ग का यह अर्थ कहा ॥ इति द्वितीय वर्ग समाप्त ॥२॥
48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अोलक ऋषिजी +
Annanmmmmmmmmmmmmmmmmmm
. प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
me
kede
Saah
Geet
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org