Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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नवगि-अणुचरोवदाई दांग मूत्र +
सामकरिजिइबा, बोरिकरिल्लिइवा, सल्लइयकारिलिइवा, सामलीकरिलइवा, तरुणाय छिन्माउण्हेदिण्णा जाब चिट्ठइ, एवामेव धन्नस्त उरु जाव जो सोणियात्तए॥२॥धनस्स कडि पिटुस्स इमेयारूये,से जहानामए-उंदृपाएइवा, जगपाएइवा,महिसपाएइवा जाव णो सोणियत्तए ॥ २४ ॥ धन्नस्स उदर भायणरप्त अयनेयारूवे से जहा नामए-सुक्कदीईइवा, भजणयकभलिइया, कमलाएइबा, एवा मव उदरसुक्कं ॥ २५ ॥ धन्नस्स पासुलिया करंडयाणं इमेयारवे से जहा नामए-धासयावलिइवा, पाणावलीइवा,मुंडावली.
इवा,सुंडावलीइवा गोलावलीइवा एवामेव०॥२६॥धण्णस्स पिटुकरंडगाणं-अयमेयाख्वे से अनगार का रू (साथल) पयादृष्टान्त भिगक्ष की शाखा, बोरडीवृक्ष की शाखा, सांगरीवृक्ष की शाखा, हरेपने में छेदन कर धूप के ताप में मूकाने से कुपलाकर जैसी देखाती है तैसी मांस रक्त रहित थी ॥२॥ धमा अनगार की कमर का विभाग इस प्रकार था यथा दृष्टान्त-ऊट का पांव, जरख (बेला) का पांवमेंस का पांव यावर रक रहित था ॥ २४ ॥ धन्ना अनगार का उदर पेट) माजन [बरतन]
था, यथारन्त-सूकी हुइ चमहे की मशक, रोटी पकाने का कडहावला, लक्कड की कथरोटी, इ
पेट सूका या ॥ २५॥धमा अनगार के पासलीयों करंड इस प्रकार था,यथादृष्टान्त-बांस का कर जीवा, बासकी टोपली, बांसके पासे,बाँसका मूंडला यावत् रक्तरहितया ॥२६शाधना अनगारका पृष्ट विभाग इस
धर्मका प्रथम अध्ययन 28
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