Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 38
________________ Rom 48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी.-8+ जहाँ नामए-कन्नावलीइवा, गोलावलीइवा, बटावलीइवा, एवामेव ॥२७॥धण्णस्स उरु करंडयस्स अयमेयारूवे से जहा नामए-चित्तय कंदूरेइवा, विणयपत्तेइवा, तालियंटेण पत्तिइवा, एवामेव०॥ २८ ॥ धन्नरस वाहाणं से जहा नामए• समिसंगलियाइवा, वाहायसंगलियाइवा, अगस्थियसंगलियाइवा एवामेव० ॥ २९ ॥ धण्णस्स हत्थाणं से जहा नामए-सुक्क छगणियाइवा, वडपत्तेइवा, पलासपत्तेइवा, एवामेव० ॥ ३० ॥ धन्नस्स हत्थंगुलियाणं से जहा नामए-कालसंगलियाइवा, मुग्ग-माससंगलिकाइवा, तरुणिया छिन्ना आयवदिण्णा सुक्कासमाणी एवामेव०॥ ३१ ॥ धन्नस्सगीवाए से जहा प्रकार था-यथादृष्टान्त-बांस की कोठी, पाषान के गोलों की श्रेणी, घडोंकी श्रेणी इस प्रकार॥२७॥ धन्ना अनगार की छाती इस प्रकार की थी यथादृष्टान्त-बिछाने की चटाइ, पत्ते का पंखा, दुप्पड का पंखा,, इस प्रकार ॥ २८ ॥ धन्ना अनगार की वांह यथादृष्टान्त-समले की फली, पाहाडे की फली, अगयीय फली, इस प्रकार ॥ २९ ॥ धना अनगार के हाथ (पंजे) यथादृशन्त-सका छाना (कंडा) बर का पत्ता, पलास का पत्ता इस प्रकार ॥ ३० ॥ धन्ना अनगार के हाथ की अंगुलीयों इस प्रकार तुबरकी फली,मूंगकी फली उडदकी फली, हरी कच्ची छेदनकर धूप के तापमें मूकाइ होने से कुमलाइ हुइ देखाती है। इसपकार॥३१॥षमा अनगार की ग्रीवा (गरदन )यथादृष्टान्त-लोटे का गला,कूडे-याकमंडलका गला, कोय । mmanawwwwwwwww • प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सझयजी ज्वालामसादजी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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