Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 49
________________ wwwwww धम्मकहींओराया-परिसहा पडिगया॥७॥तएणं तस्स सुनक्खत्तस्स अन्नया कयाई पुव्वरत्तजाव धम्म जागरियं जाव खंधयस्स बहुचासाओ परियाओ ॥८॥ गोयम पुच्छा जाव सबठसिद्ध विमाणे देवत्ताए उवषण्णे ॥ जाव महाविदेहवासे सिज्झिहिति ॥९॥ इति वीयं अज्झयणं सम्मत्तं ॥ ३ ॥ २ ॥ एवं खलु जंबू ! सुनक्खत्ते गमेणं सेसावि अट्ठ माणियव्या, अणुपुम्बिए-दोन्नि रायगिहे, दोन्नि साइए, दोन्नि वाणियगामे, नवमो हत्थिणापुरे, दसमोरायगिहे॥१॥नवण्हं भद्दा जणणिओ, नवण्हं निक्खमणं थावच्चापुत्त सरिसं, वेहलप्पिया करेइ, नवमासधण्णे वेहलछमासा परियाओ, सेसाणं बहुवाIE गये ॥८॥ त३ वह सुनक्षत्र अणगार अन्यदा किसी वक्त धर्म जागरणा जामते खंधक जैसा विचार किया यावत् संथारा किया बहुत वर्ष संयम पाल काल समय काल पूर्ण कर सर्वार्थ सिद्ध विमान में देवी उत्पन हुवा ॥ ९ ॥ गौतम स्वामीने पूछा, भगवंतने सर्वार्थ सिद्ध में उत्पन्न हुवे कहा, तेंतीस सागर का आयुष्य कहा यावत् महा विदेह में सिद्ध होंगे ॥ इति तृतीय वर्ग का द्वितीय अध्ययन संपूर्ण ॥ ३ ॥२॥ यों निश्चय, हे जम्बू! जिस प्रकार सुनक्षत्र का कथन कहा तैसा बाकी रहे आगे ही का कहना, अनुक्रम से-दो राजगृही नगर में, दो सेतम्बिका नगरी में, दो वानीज्य ग्राम में, नववा हस्थिनापुर में,और दशवा राजगृही नगरीमें॥१॥नवों की भद्रा माता,नव ही के बत्तीस स्त्रीयों, बत्तीस दात,नव ही का औत्सव थावरचा पुत्रके जैसा,वेहल कुमारका दीक्षा उत्सव पीताने किया,धना अणगार नव महीने और वेहल कुमार छमहिने १ नवमांग-अणुत्तरोववाई. दशांग सूत्र 428+ अर्थ य-वगका२-१०अध्ययन 48 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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